अजीत डोभाल के बेटे के कारोबारी रिश्ते सवालों के घेरे में
कारवां मैगज़ीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल के संबंध में हैरतअंगेज जानकारियां सामने रखी हैं. मैगज़ीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर से जुटाए गए दस्तावेजों से दावा किया है कि विवेक डोभाल दुनिया के सस्बे कुख्यात टैक्स हेवन में गिने जाने वाले केमैन आइसलैंड में एक हेज फंड (निवेश निधि) चलाते हैं.
हेज फंड ऐसी निवेश निधि होती है जो देश से बाहर स्थापित की जाती है. ये अक्सर प्राइवेट लिमिटेड पार्टनरशिप के रूप में स्थापित किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य कारोबारी मकसद के लिए धन उपलब्ध कराना होता है. टैक्स से बचने के लिए इसे अक्सर ऐसे देशों में स्थापित किया जाता है, जहां व्यापार पर बहुत कम टैक्स देना होता है या बिल्कुल भी नहीं देना होता है. ऐसे देशों को टैक्स हेवेन कंट्री कहा जाता है. इस तरह के फंड का प्रयोग अक्सर काले धन को सफेद करने के लिए किया जाता है.
मैगज़ीन का दावा है कि इस हेज फंड का पंजीकरण साल 2016 में लागू की गई नोटबंदी के ठीक तेरह दिन बाद कराया गया है. मैगज़ीन लिखती है कि उनके इस कारोबार की जड़ें उनके भाई और बीजेपी के नेता शौर्य डोभाल तक फैली हुई हैं. शौर्य भारत में चलने वाले एक थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख हैं. इंडिया फाउंडेशन को नरेंद्र मोदी सरकार के बहुत करीब माना जाता है.
विवेक डोभाल द्वारा केमैन आइसलैंड में हेज फंड चलाने का यह दावा इसलिए बहुत गंभीर है क्योंकि खुद उनके पिता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हेज फंड जैसे टैक्स हेवन को खत्म करने की वकालत करते रहे हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने साल 2011 में बीजेपी के लिए ‘इंडियन ब्लैक मनी अब्रोड: इन सीक्रेट बैंक्स एंड टैक्स हेवन’ शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की थी.
अजीत डोभाल ने ये रिपोर्ट एस गुरुमूर्ति के साथ मिलकर तैयार की थी. गुरुमूर्ति आरएसएस विचारक रहे हैं और इस समय रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर तैनात हैं.
मैगज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक विवेक डोभाल ब्रिटेन के नागरिक हैं और अभी सिंगापुर में रहते हैं. वो ‘जीएनवाई एशिया फंड’ नाम के हेज फंड के निदेशक हैं. मैगज़ीन ने जो दस्तावेज हासिल किए हैं, उनके अनुसार डान.डब्ल्यू ईबैंक्स और मोहम्मद अल्तफ मुस्लियम वीतिल इस हेज फंड के अन्य दो निदेशक हैं.
डान.डब्ल्यू ईबैंक्स का नाम कुख्यात पनामा पेपर्स में आया था. इन पेपर्स से पता चला था कि वे केमैन आइसलैंड से ही चलने वाली कम से कम दो और हेज फंड के निदेशक हैं.
ईबैंक्स इससे पहले केमैन आइसलैंड सरकार के कर्मचारी भी थे और वे सरकार के वित्त सचिव और कैबिनेट मंत्रियों को भी सलाह देते थे. जीएनवाई एशिया फंड इस समय वाकर्स कारपोरेट लिमिटेड नाम की फर्म की देख-रेख में है. इस फंड का नाम भी पनामा पेपर्स में आता रहा है.
मैगज़ीन लिखती है कि उसे दोनों भाइयों के बीच प्रशासनिक संबंधों के बारे में पता चला है. दोनों भाइयों की कंपनियों के बहुत से कर्मचारी एक-दूसरे के लिए काम करते हैं. दोनों भाइयों के कारोबारी लिंक सऊदी के राजपरिवार से भी जुड़े बताए गए हैं.
सूचना के मुताबिक केमन आइलैंड में पंजीकृत होने के दो महीने बाद से ही जीएनवाई भारत में हुई बड़ी कार्पोरेट बैठकों में शामिल होने लगी थी. रिपोर्ट के मुताबिक ये खुलासा नहीं हो पाया है कि इन बैठकों में शामिल होने के समय कंपनी की कुल संपत्ति कितनी थी, लेकिन 2018 में अमेरिकी सरकार को उपलब्ध कराई के सूचना के मुताबिक जीएनवाई की कुल संपत्ति 11.19 मिलियन डॉलर बताई गई थी.
फरवरी 2017 में हुई एक कारोबारी बैठक में भाग लेने वाली मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमैंट कंपनी उस समय 2.5 अरब डॉलर यानी 17 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी परिसंपत्तियों का प्रबंधन देख रही थी.
ऐसी ही दो बैठकों में एचडीएफसी भी शामिल हुई थी. उस वक्त इस कंपनी की हैसियट 92 हजार करोड़ रुपये थी. इसी तरह कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमैंट कंपनी भी उस बैठक का हिस्सा थी. उस समय इस कंपनी की हैसियत 88 हजार करोड़ रुपये थी.
इन बैठकों में जीएनवाई के शामिल होने में सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि उस समय तक इस कंपनी के पास लीगल एंटिटी आइडेंटीफायर कोड नहीं था. यह 20 अंको वाला कोड वित्तीय लेनदेन करने वाली कंपनियों के लिए जरूरी होता है.
रिपोर्ट, शौर्य डोभाल के बारे कहती है कि विदेश में बैंकर का काम करने वाले शौर्य 2009 में भारत लौट आए. भारत वापस आने के बाद बीजेपी महासचिव राम माधव के साथ शौर्य, इंडिया फाउंडेशन के निदेशक बन गए.2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ये संस्था चमक गई.
ये संस्था भारत में विदेशी राजदूतों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ बैठके करती है और प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के दौरान होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करती है. न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर में आयोजित प्रधानमंत्री की हाईप्रोफाइल रैली का आयोजन भी इसी संस्था ने किया था. इस संस्था में बीजेपी सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं.