हाई कोर्ट का पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश


Allahabad HC orders action against errant police personnel in AMU stir

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया है कि वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मोटरसाइकिल तोड़ने वाले और छात्रों को पीटने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान करें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें.

कोर्ट ने राज्य सरकार को उन छह छात्रों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया, जिन्हें पुलिस कार्रवाई के दौरान गंभीर चोटें आईं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह आदेश दिए हैं. बेंच में जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस समित गोपाल शामिल थे. वहीं जांच करने वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति में 6 सदस्य शामिल थे.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति को पांच सप्ताह का समय दिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह आदेश मोहम्मद अमान खान की जनहित याचिका पर दिया था. खान ने अपनी याचिका में पुलिस द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों पर ज्यादिती करने का आरोप लगाया था.

मानवाधिकार आयोग की समिति ने ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए ट्रेनिंग दिए जाने का भी प्रस्ताव दिया. इसके साथ ही समिति ने सोशल मीडिया पर अफवाह फैलने से रोकने के लिए इंटेलिजेंस सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने का भी प्रस्ताव दिया.

महत्वपूर्ण रूप से मानवाधिकार समिति ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार को छात्रों से संवाद करने के लिए बेहतर चैनल बनाने का प्रस्ताव भी दिया ताकि छात्र बाहरी असमाजिक तत्वों से प्रभावित ना हों.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, डीजीपी, एएमयू के वीसी और रजिस्ट्रार को जल्द से जल्द मानवाधिकार समिति के प्रस्तावों को लागू करने का आदेश दिया है.


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