अमेरिका ने चीन को ‘मुद्रा अवमूल्यन’ करने वाले देश का दर्जा दिया
अमेरिका और चीन के व्यापारिक रिश्तों में चल रहे तनाव के बीच अमेरिकी वित्त विभाग ने चीन की पहचान मुद्रा अवमूल्यन (करंसी मैनिपुलेशन) करने वाले देश के रूप में की है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने एक बयान में यह जानकारी दी. बयान के मुताबिक अमेरिका इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जाएगा ताकि चीन की ओर से अनुचित प्रतिस्पार्धा को रोका जा सके.
अमेरिका के वित्त विभाग ने सोमवार को जारी बयान में कहा, “पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) द्वारा सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा गया कि चीनी अधिकारियों का युआन विनिमय दर पर पर्याप्त नियंत्रण है.” बयान के मुताबिक पीबीओसी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकारा है कि वो पहले भी मुद्रा अवमूल्यन करते रहे हैं और आगे भी जरूरत पड़ने पर ऐसा कर सकते हैं.
विभाग ने बयान में कहा, “चीन के इस कदम से 20 उद्योगिक देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन हुआ है, जिसके मुताबिक सदस्य देश प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन नहीं करेंगे. अमेरिका ने चीन से उम्मीद की थी कि वो प्रतिस्पर्धी उद्देश्यों के लिए चीन की विनिमय दर में छेड़छाड़ नहीं करेगा.”
वहीं इससे पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार चीन पर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करने का आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि, चीन इन आरोपों को खारिज करता रहा है.
सोमवार को शुरुआती कारोबार में युआन अमेरिका मुद्रा के मुकाबले गिरकर 7 युआन प्रति डॉलर के नीचे आ गया. यह अगस्त 2010 के बाद का सबसे निचला स्तर है. युआन में 1.4 फीसदी की गिरावट अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन के 300 अरब डॉलर के सामानों पर अतिरिक्त 10 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा के कुछ ही दिन बाद आई.
इससे इस आशंका को बल मिला कि चीन ने अमेरिकी शुल्क का जवाब देने के लिए अपनी मुद्रा में अवमूल्यन की अनुमति दी.
अमेरिकी वित्त विभाग ने साल 1988 में ताइवान और दक्षिण कोरिया की मुद्रा अवमूल्यन करने वाले देश की रूप में पहचान की थी. अमेरिका ने आखिरी बार 1994 में चीन को मुद्रा अवमूल्यन करने वाले देश का दर्जा दिया था.
इससे पहले मई में अमेरिका चीन को मुद्रा में हेरफेर करने वाले देश का दर्जा देने से बच रहा था. हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने चीन पर दबाव डाला था कि युआन की विनिमय दर को बाजार कारकों पर छोड़ दिया जाए.