ऑटो उद्योग में मंदी से मुकाबला कर रहे बजाज ऑटो को कम मुनाफे के चलते हो रहा नुकसान
ऑटोमोबाइल क्षेत्र की सुस्ती का प्रभाव दोपहिया वाहनों की बिक्री पर भी पड़ा है. पिछली कई तिमाहियों से दोपहिया वाहनों की बिक्री में लगातार कमी देखी गई है. बजाज ऑटो काफी हद तक इससे बचने में सफल रहा है. लेकिन मार्जिन दबाव के चलते कंपनी को नुकसान पहुंच रहा है.
बीती जून की तिमाही में टैक्स, ब्याज, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले कंपनी की कमाई का मार्जिन 15.4 फीसदी रहा जो मोटे तौर पर अनुमानों के अनुरूप है. एक तरह से ये निवेशकों के लिए राहत भरी खबर हो सकती है. हालांकि बीते वर्ष की समान तिमाही की तुलना में इसमें 250 आधार अंकों की गिरावट हुई है.
शेयरखान लिमिटेड के विश्लेषक भरत जियानानी कहते हैं, “घरेलू बाजार में आक्रामक मूल्य निर्धारण की नीति और अलग-अलग उत्पादों के चलते मार्जिन में गिरावट दर्ज की गई है.” एक आधार अंक एक फीसदी अंक का 100वां भाग होता है.
मार्जिन के दबाव को कर्मचारियों की लागत बढ़ने के चलते भी बल मिला है. इसके अलावा अन्य खर्च भी हैं जो कंपनी के चार फीसदी राजस्व के मुकाबले तेजी से बढ़े हैं.
बिक्री में 1.7 फीसदी की वृद्धि के साथ वसूली में सुधार मुख्य बिंदु रहे जिनके कारण मंदी की स्थिति में भी कंपनी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई. बिक्री मूल्य औसतन 2.4 फीसदी की गति से बढ़ता है.
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि समूचे ऑटो उद्योग को जून की तिमाही में जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ा है, बजाज के राजस्व में चार फीसदी की बढ़त ठीक ही कही जाएगी.
कंपनी का कुल शुद्ध लाभ बीते साल की इसी तिमाही की तुलना में ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ. बीते साल कंपनी का कुल लाभ 1,125 करोड़ था. जबकि इस साल ये 1,081 करोड़ रहा.
फिलहाल ऑटो उद्योग पर छाए संकट के बादल जल्दी छंटने वाले नजर नहीं आ रहे. जानकारों का मानना है कि इसमें सुधार बहुत धीमी गति से होगा.
जेफरीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के आर्य सेन कहते हैं, “हम बजाज के सामने एक से अधिक विपरीत परिस्थितियां देख रहे हैं. इनमें बिक्री दर में कमी, मार्जिन का दबाव, घरेलू दोपहिया वाहनों के ब्रांड में कमी करना और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों में उतार-चढ़ाव शामिल हैं.”