बैंक यूनियनों ने जेट के अधिग्रहण की मांग की


jet airways personnel commit suicide

 

बैंक कर्मचारी संघों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संकट में घिरी विमानन कंपनी जेट एयरवेज को सरकारी नियंत्रण में लेने का आग्रह किया है ताकि एयरलाइन कंपनी में काम करने वाले 22,000 कर्मचारियों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सके.

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने मोदी को लिखे पत्र में लिखा है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंकों को जेट एयरवेज को कर्ज देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.

जेट एयरवेज ने 25 साल परिचालन के बाद बुधवार मध्य रात्रि से परिचालन अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है. बैंकों की समिति की ओर से 400 करोड़ रुपये की तत्काल कर्ज सहायता नहीं मिलने की वजह से कंपनी को यह कदम उठाना पड़ा.

संघ ने कहा, “हम जानते हैं कि बैंकों ने जेट एयरवेज की कमान संभालने के लिए संभावित निवेशकों से बोली मांगी हैं. यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो हम प्रधानमंत्री से एयरलाइन कंपनी की कमान सरकारी हाथों में लेने का आग्रह करते हैं ताकि कंपनी के 22,000 कर्मचारियों की नौकरियों को बचाया जा सके.”

बैंक संघ ने इसके साथ ही बैंकों को एयरलाइन को अधिक पैसा उधार देने के लिए मजबूर करने के किसी भी कदम का विरोध किया है.

कर्मचारी संघ ने कहा, “जेट एयरवेज को बचाने के लिए हर कोई बैंक की ओर इस तरह देख रहा है कि वह राहत पैकेज दे दें जैसे कि कर्जदाता ही कंपनी के मालिक हैं.” उन्होंने जेट एयरवेज के मामले में जांच की भी मांग की है.”

कर्मचारी संघ ने कहा, “नरेश गोयल अब भी कंपनी के प्रवर्तक हैं और 51 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़े शेयर धारक हैं. यह उनकी सरदर्दी है कि वह कंपनी को चलाए या फिर उसे किसी को बेच दें.”

बैंक कर्मचारी संघों का कहना है कि पूरे मामले में बैंकों पर दबाव बनाने की तैयारी की जा रही है. इस बात की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है कि बैंक कंपनी को कर्ज दे दें. नरेश गोयल को इस पूरे मामले से अलग रखने का प्रयास हो रहा है जबकि वास्तव में इस पूरे संकट के पीछे वही जिम्मेदार हैं.

पत्र में कहा गया है कि ‘‘मामले में हम सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हैं ताकि बैंकों को उनका और पैसा एयरलाइन में लगाने के लिये मजबूर नहीं किया जाए.’’


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