दबाव में वीआरएस ले रहे हैं बीएसएनएल कर्मचारी : यूनियन
सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारियों की ओर से बड़ी संख्या में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन के बाद कर्मचारी यूनियन ने (प्रबंधन की ओर से) वीआरएस लेने के लिए कर्मचारियों पर दबाव डालने का आरोप लगाया है.
बीएसएनएल और एमटीएनएल पर भारी कर्जे से निपटने के उपाय के तहत सरकार वीआरएस योजना शुरू की है. इसके तहत 50 साल से अधिक उम्र का कोई भी कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं.
बीबीसी हिन्दी ने बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन के स्वपन चक्रवर्ती के हवाले से लिखा है, ‘लोगों को धमकियां मिल रही हैं कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उनका ट्रांसफर कर दिया जाएगा, उन्हें वेतन नहीं मिलेगा. इस कारण वो वीआरएस ले रहे हैं.’
कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पीके पुरवार इन आरोपों से इनकार किया है.
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के अब तक 92,000 से अधिक कर्मचारियों ने हाल में घोषित वीआरएस योजना के लिये आवेदन किये हैं.
बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या करीब 1.50 लाख है. इसमें से करीब एक लाख कर्मचारी वीआरएस के लिये पात्र हैं. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की प्रभावी तारीख 31 जनवरी 2020 है।
बीएसएनएल की वीआरएस, 2019 तीन दिसंबर तक खुली रहेगी. कंपनी का मानना है कि अगर 70,000-80,000 कर्मचारी इस विकल्प को चुनते हैं तो इससे कंपनी को वेतन मद में करीब 7,000 करोड़ रुपये की बचत होगी.
योजना के तहत सभी नियमित और स्थायी कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे. इसमें बीएसएनएल के वे कर्मचारी भी शामिल हैं जो दूसरे संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं और 50 साल या उससे ऊपर के हैं.
योजना के तहत पात्र कर्मचारियों को अनुग्रह राशि के रूप में पूरा किये गए सेवा वर्षों के एवज में 35 दिनों का वेतन तथा सेवानिवृत्ति तक बची हुई अवधि के लिए 25 दिनों का वेतन मिलेगा.
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) ने भी अपने कर्मचारियों के लिये वीआरएस योजना शुरू की है. यह योजना तीन दिसंबर तक खुली रहेगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय योजना को मंजूरी दी. एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में सेवा देती है जबकि देश के अन्य भागों में बीएसएनएल सेवा देती है.