क्यों खड़ा है बीएसएनएल बंद होने के कगार पर?


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भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) बंद होने की कगार पर खड़ा है. इस समय बीएसएनएल भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन भी देने में सक्षम नहीं है. रोजाना के कामों में भी दिक्कत आ रही है.

सरकार के स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल कभी सालाना 10,000 करोड़ रुपये कमाती थी. भारत में यह उन कुछ चुनिंदा ऑपेरेटरों में से थी, जो मुनाफा कमाती थी. 2019 आते–आते कंपनी की हालत यह हो गई कि उसके ऊपर 13,000 करोड़ रुपये का कर्ज लद गया.

बीएसएनएल बीते कुछ सालों से कठिन दौर से गुजर रहा था. लेकिन दूरसंचार क्षेत्र में “जिओ” के आने के बाद से बीएसएनएल की मुश्किलें और अधिक बढ़ी हैं. कंपनी की तुलना जिओ से करें तो बीएसएनएल इससे काफी पिछड़ चुका है. चाहे बात अच्छी सेवाओं की हो या तकनीकी रूप से एडवांस होने की, बीएसएनएल दोनों पैमाने पर असफल हुआ है. आज जब सभी दूरसंचार कंपनियां 5G नेटवर्क लाने की तैयारी में हैं, बीएसएनएल अब देशभर में 4G नेटवर्क को टेस्ट कर रहा है.

कंपनी की आर्थिक स्थिति बहुत समय से खस्ताहाल थी. हाल में इस सिलसिले में कंपनी ने सरकार से वित्तीय सहायता मांगी थी लेकिन सरकार ने मदद करने के बजाय बैंक से मदद मांगने को कहा. सरकार ने बैंको से 850 करोड़ रुपये के लोन का अनुरोध किया है. इससे सभी कर्मचारियों को जून महीने का वेतन भुगतान किया जाएगा. अगले कुछ महीनों तक कंपनी को बचाए रखने के लिए अतिरिक्त 2,500 करोड़ रुपये के लोन का अनुरोध किया गया है. लेकिन 2,500 करोड़ की वित्तीय सहायता से भी कंपनी केवल अगले छह महीनों तक ही चल पाएगी. यह मदद भी अब तक मंजूर नहीं की गई है. कंपनी पर पहले से 13,000 करोड़ का कर्ज होने के चलते बैंक किसी भी तरह की वित्तीय सहायता से इनकार कर सकते हैं.

हालांकि बीएसएनएल को इस स्थिति में पहुंचाने का जिम्मेदार सरकार की खराब नीतियों को ही माना जा रहा है. पिछले 10 सालों से कंपनी लगातार बिखरती चली गई है. सरकार की ओर से नई तकनीकों को लाने में देर करने से कंपनी को नुकसान हुआ है. माना जा रहा है कि कंपनी की आधारभूत संरचना में कोई बदलाव ना होने के कारण स्थिति यहां तक पहुंची है. इधर दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल से कहा है कि वे और कर्ज लेने के लिए बैंकों के पास ना जाएं.

ऐसे में बीएसएनएल के अस्तित्व पर निर्णायक संकट खड़ा हो गया है. बीएसएनएल पर कर्ज इतना ज्यादा है कि उधारदाताओं को लग रहा है कि कंपनी उनका पैसा नहीं चुका पाएगी. अगर 2,500 करोड़ का लोन मिल भी जाता है तो इससे कंपनी महज कुछ महीनों तक ही काम कर पाएगी. उसके बाद फिर कंपनी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी.


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