चिकित्सा परिषद का कामकाज ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स’ को सौंपने वाले विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय चिकित्सा परिषद का कामकाज बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को सौंपने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. बोर्ड ये जिम्मेदारी अगले दो साल तक संभालेगा. मेडिकल शिक्षा के लिए नियामक संस्था फिलहाल भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई. ये विधयेक भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक 2019, संसद में बने कानून के जरिए भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा.
इस विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा.
आधिकारिक बयान के अनुसार, इससे देश में मेडिकल शिक्षा में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता बढ़ेगी.
इस अवधि में भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमसी) अधिनियम, 1956 के तहत प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्यों का निर्वहन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स करेगा.
बयान में कहा गया है कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की संख्या मौजूदा सात से बढ़ाकर 12 कर दी जाएगी.
मंत्रिमंडल ने बुधवार की अपनी बैठक में होम्योपैथी केन्द्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2019 के मसौदे को भी मंजूरी दे दी.
आधिकारिक बयान के अनुसार, इस विधेयक में केन्द्रीय परिषद के पुनर्गठन के लिए तय समय सीमा को एक वर्ष से बढ़ाकर दो साल करने का अनुरोध किया गया है ताकि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का कार्यकाल भी एक से बढ़ाकर दो साल किया जा सके. यह 17 मई, 2019 से प्रभावी होगा.
साथ ही कैबिनेट ने डेन्टिस्ट एक्ट, 1948 में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है.