मोदी सरकार में नियम के खिलाफ स्पेक्ट्रम आवंटन, 560 करोड़ का नुकसान: कैग


PUCL presented charge sheet against central govt

 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने दूरसंचार मंत्रालय के स्पेक्ट्रम प्रबंधन में कई खामियां पाई हैं. कैग का कहना है कि स्पेक्ट्रम प्रबंधन में खामियों की वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है.

ऑडिटर ने पाया कि एक दूरसंचार ऑपरेटर को 2015 में समिति की सिफारिशों के उलट पहले आओ पहले पाओ के आधार पर कुछ स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया. जबकि सरकार के पास माइक्रोवेव (एमडब्ल्यू) स्पेक्ट्रम के 101 आवेदन लंबित थे.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूरसंचार विभाग ने विभिन्न श्रेणियों के स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए एक समिति का गठन किया था. साथ ही विभाग ने प्रस्ताव किया था कि माइक्रोवेव बैंड में सभी ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम आवंटन नीलामी के जरिए किया जाए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति की सिफारिशों के उलट एमडब्ल्यू एक्सेस स्पेक्ट्रम का आवंटन ‘पहले आओ पहले पाओ (एफसीएफएस)’ के आधार पर किया जा रहा है. जैसा 2009 तक 2जी और एक्सेस स्पेक्ट्रम के मामले में किया जाता था.

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में 2008-09 के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पहले आओ पहले पाओ नीति को रद्द कर दिया था. 122 दूरसंचार परमिट भी निरस्त कर दिए थे.

माइक्रोवेव एक्सेस (एमडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम आपरेटरों को छोटी दूरी के लिए मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आवंटित किए जाते हैं.

कैग ने कहा, ‘‘यह सामने आया है कि दूरसंचार विभाग ने जून, 2010 से एक्सेस सेवा प्रदाताओं को एमडब्ल्यूए का आवंटन रोका हुआ है. दिसंबर, 2015 में सिर्फ एक आवेदक को आवंटन किया गया. नवंबर, 2016 तक एमडब्ल्यूए आवंटन से संबंधित 101 आवेदन लंबित थे.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम प्रबंधन में खामियों की वजह से सरकार को करीब 560 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है. इसमें से 520.79 करोड़ रुपए का नुकसान बीएसएनएल से वह स्पेक्टरम वापस न लेने के कारण है जो उसने लौटाने की पेशकश की थी.


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