कैप्टिव कोयला खदानों का उत्पादन अप्रैल-मई में 2.3 फीसदी बढ़ा


Captive coal production increases by 2.3 percent in April-May

 

वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-मई में कैप्टिव कोयला खदानों का उत्पादन 2.3 फीसदी बढ़कर 41 लाख 20 हजार टन हो गया.

हालांकि 29 में से 13 आवंटित खदानों में स्थानीय विरोध, अधिकारियों के स्तर पर क्लीयरेंस में देरी, उचित यातायात की सुविधा नहीं होने और खदान कॉन्ट्रेक्टर के साथ मतभेदों के चलते काम रुका हुआ है.

आंकड़ों में सामने आया है कि 12 कोयला ब्लॉक में उत्पादन बढ़ा है, इनमें से तीन ब्लॉक में बीते साल अप्रैल-मई में उत्पादन रुका हुआ था. 29 कोयला ब्लॉक में से 13 की निलामी की गई और 16 सरकारी कंपनियों को आवंटित की गई हैं.

वहीं अप्रैल-मई में चार कैप्टिव कोयला खदानों- हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (दो ब्लॉक), जयप्रकाश पावर वेंचर्स और एनटीपीसी में उत्पादन में गिरावट आई है.

बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इन कोयला ब्लॉक के मौजूदा मालिकों के साथ बैठक की. मंत्रालय ने बैठक में मलिकों से खदानों में घटते उत्पादन पर चिंता जाहिर की.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने बैठक के ब्योरे के अध्ययन के बाद बताया कि एनएलसी इंडिया की ओर से बैठक में कोई भी शामिल नहीं हुआ. एनएलसी इंडिया के अधिकार क्षेत्र में आने वाली तालाबीरा कोयला खदान में अभी उत्पादन चालू नहीं है, ऐसे में कंपनी की ओर से स्पष्टिकरण देने के लिए कोई भी मौजूद नहीं था. इन खदानों की तुलना में तालाबीरा में ज्यादा उत्पादन होता है.

वित्त वर्ष 2019 में कैप्टिव कोयला खदानों में दो करोड़ 50 लाख टन से अधिक उत्पादन हुआ. यह उत्पादन वित्त वर्ष 2018 के तुलना में 55 फीसदी तक अधिक रहा.

लेकिन यह वित्त वर्ष 2015 के चार करोड़ 32 लाख टन के अधिकतम उत्पादन से काफी कम रहा. 2015 में 42 कोयला ब्लॉक सक्रिय थे.

सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में 204 कैप्टिव कोयला खदानों के लाइसेंस यह कहते हुए रद्द कर दिए कि ये अवैध और मनमाने ढंग से आवंटित की गई हैं.

वहीं संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि सरकार ने वित्त वर्ष 2019 तक जरूरी मापदंडों को पूरा नहीं करने वाली कैप्टिव कोयला खदानों की मालिक कंपनियों के निष्पादन सुरक्षा से 832.53 करोड़ रुपये काटे हैं.


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