टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होने के मामले में कैस्टर सेमेन्या फिर प्रतिबंधित
दो बार की ओलंपिक चैंपियन धावक कैस्टर सेमेन्या को दोहा में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है. ये फैसला स्विटजरलैंड के एक कोर्ट ने सुनाया. मामला टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होने से जुड़ा हुआ है.
अपनी पीआर एजेंसी को दिए एक बयान में सेमेन्या ने कहा, “मैं अपनी मेहनत से कमाए टाइटल को ना बचा पाने के चलते बहुत निराश हूं. लेकिन ये फैसला मुझे इस तरह की महिला एथलीटों के मानवाधिकारों के लिए लड़ने से रोक नहीं सकता.”
इस मामले में सबसे पहले एथलेटिक्स महासंघों के अंतरराष्ट्रीय संघ (आईएएएफ) ने इस दक्षिण अफ्रीकी 800 मीटर दौड़ की चैंपियन को पुरुष हार्मोन का स्तर अधिक होने के चलते खेलने से प्रतिबंधित कर दिया था. इसके बाद वे आईएएएफ के खिलाफ कोर्ट चली गईं थीं.
पहले इस मामले में स्विस कोर्ट ने अस्थाई तौर पर उन पर लगे प्रतिबंध हटा लिए थे, जिसे अब फिर से लागू कर दिया गया है.
सेमेन्या उस नियम का विरोध कर रहीं थी, जिसके अंतर्गत ‘हाइपरएंड्रोजेनिक’ यानी कि यौन विकास में भिन्नता वाले एथलीटों को अगर महिला के तौर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है तो उन्हें अपने टेस्टोस्टेरोन स्तर को कम रखना होता है.
सेमेन्या को दवाओं के बल पर अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने को कहा गया था जिसे उन्होंने इनकार कर दिया था. ये दवाएं अप्राकृतिक और हानिकारक बताई जाती हैं.
इससे पहले इस मामले में सुनवाई के दौरान आईएएएफ ने जोर दिया था कि ये नियम खेल के लिए जरूरी हैं. ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि सभी महिला एथलीट सफलता हासिल कर सकें.
आईएएएफ का मानना है कि अगर महिला एथलीट में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पुरूषों की तरह होगा तो उनकी हड्डियों और मांसपेशियों के आकार में तथा हीमोग्लोबिन और मजबूती में उसी तरह की बढ़ोतरी होगी जैसी पुरूषों में युवावस्था में होती है.
पंचाट के फैसले के बाद पूरी दुनिया में विवाद खड़ा हो गया था. कुछ लोग जमकर इसका विरोध कर रहे हैं. विरोधियों का कहना है कि टेस्टोस्टेरोन लिंग निर्धारण करने का मनमाना और अनुचित तरीका है.
कानून की प्रोफेसर स्टीवी कॉरनेलिस कहती हैं कि महिला एथलीटों को हार्मोन का स्तर कम करने के लिए दवाई लेने पर मजबूर करना अनैतिक है. उन्होंने कहा, “दरअसल आप एक स्वस्थ व्यक्ति की बात कर रहे हैं और उसी व्यक्ति को आप बीमार बना रहे हैं.”
सेमेन्या की वकील डोरॉथी श्राम ने कहा, जज के प्रक्रियात्मक निर्णय से इस अपील पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हम सेमेन्या की अपील पर मानव अधिकारों की लड़ाई जारी रखेंगे.