सिविल सोसाइटी ने की चुनाव आयोग के आदेश को पलटने की मांग
सिविल सोसाइटी के विभिन्न सदस्यों ने चुनाव आयोग के उस फैसले को पलटने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि अनिवार्य पांच बूथों की वीवीपैट पर्चियों की गिनती ईवीएम के मतों को गिनने के बाद होगी. उन्होंने कहा है कि ईवीएम के मतों की गिनती तब शुरू होनी चाहिए, जब अनिवार्य रूप से चुने गए पांच बूथों की वीवीपैट पर्चियों की गिनती पूरी हो जाए.
इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि अगर पांच अनिवार्य बूथों की वीवीपैट पर्चियों और ईवीएम के मतों में कोई असमानता पाई जाती है तो पूरे संसदीय क्षेत्र की वीवीपैट पर्चियों की गिनती का आदेश दिया जाना चाहिए.
इस सिविल सोसाइटी में 24 समूह शामिल हैं. ये ‘जन सरोकार 2019’ के बैनर तले इकट्ठे हुए हैं. इन्होंने अपनी यह मांग मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अलग चुनाव आयुक्तों को पत्र लिखकर की है.
इससे पहले 22 विपक्षी पार्टियों ने भी यही मांग की थी.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “हमने चुनाव आयोग को कहा है कि वीवीपैट और ईवीएम से गिनती का मिलान होना चाहिए, अगर उनमें कोई अंतर होता है तो पूरे विधानसभा में मिलान होना चाहिए.”
वहींं तेलुगू देशम पार्टी(टीडीपी) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “हम चुनाव आयोग से लोगों के मत के सम्मान की मांग करते हैं. इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है.”
बहुजन समाज पार्टी(बीएसपी) नेता सतीश चंद्र मिश्र ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में ईवीएम को लेकर बड़े स्तर पर घपलेबाजी हो रही है. हमने केन्द्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की मांग की है.
विपक्षी दलों ने मतगणना से पूर्व ईवीएम की आवाजाही का मुद्दा भी उठाया और मामले की जांच की मांग की है.