हकीकत बन सकती है कांग्रेस की न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) पर बेशक नरेन्द्र मोदी सरकार पिछले कुछ महीनों से मंथन कर रही है लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना’ का दांव खेलकर फिलहाल इस लड़ाई में बढ़त हासिल कर ली है. राहुल गांधी ने रायपुर में 28 जनवरी को कहा, “हम एक ऐतिहासिक फैसला लेने जा रहे हैं, जो दुनिया की किसी भी सरकार ने नहीं लिया है. 2019 का चुनाव जीतने के बाद देश के हर गरीब को कांग्रेस पार्टी की सरकार न्यूनतम आमदनी गारंटी देगी.
अच्छी बात ये है कि उनकी इस घोषणा को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम से भी समर्थन मिला है. उन्होंने ही 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यूबीआई लागू करने का प्रस्ताव रखा था. उन्होंने इसके लिए जीडीपी का 4.9 फीसदी खर्च का अनुमान लगाया था. इस आर्थिक सर्वेक्षण में करीब 75 फीसदी जनता को यूबीआई योजना में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था.
अभी ही कुछ दिनों पहले सुब्रह्मण्यम ने कृषि संकट से निपटने के लिए प्रत्येक ग्रामीण परिवार को हर साल 18,000 रुपये देने का प्रस्ताव रखा था. उन्होंने अपने आंकलन में कहा था कि यूनिवर्सल बेसिक इंन्कम योजना को लागू करने में जीडीपी का 1.3 फीसदी खर्च होगा. योजना के लागू होने से 2.64 लाख करोड़ बजट पर अतिरिक्त भार पड़ेगा.
सुब्रह्मण्यम ने राहुल गांधी की घोषणा के बाद ट्वीट किया कि भारत यूबीआई की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि सिक्किम, तेलंगाना, ओडिशा के बाद हमारे क्यूयूबीआर (अर्धग्रामीण सार्वभौमिक आधारभूत ग्रामीण आय) की संकल्पना को कांग्रेस के न्यूनतनम आय गारंटी ने आगे बढ़ाया है.
सिक्किम में हाल ही में अनुबंध पर नौकरी के जरिए एक न्यूनतम आय को सुनिश्चित करने की योजना लाई गई थी. जबकि तेलंगाना और ओडिशा में किसानों के लिए आमदनी की व्यवस्था की गई है.
राहुल गांधी के बयान के बाद कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में ‘न्यूनतम आमदनी गारंटी’ योजना लागू करने में जीडीपी का 1.5 फीसदी खर्च का अनुमान लगाया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए 2.82 लाख करोड़ रुपए खर्च करने होंगे.अरविंद सुब्रह्मण्यम के अनुमान के यह ज्यादा करीब बैठता है.
इससे पहले इस योजना के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने 188.41 लाख करोड़ का अनुमान लगाया था.
पी चिदंबरम ने कहा है कि 20 फीसदी लोगों को योजना में शामिल किया जाएगा. इससे पता चलता है कि कांग्रेस सुरेश तेंडुलकर की ओर से खीचीं गई गरीबी रेखा को यूआईबी का आधार बनाया है. नेशनल सर्वे सैम्पल 2011-12 में प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रो में 27 रुपया और शहरी क्षेत्रों में 33 रुपया से कम कमाने वाले को गरीबी रेखा के नीचे रखा गया है.
पी चिदंबरम ने राहुल गांधी के बयान के बाद कहा, “देश के संसाधनों पर भारत के गरीबों का पहला हक है. हम पांच साल में गरीबी को खत्म कर सकते हैं.”
उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र में यूबीआई को शामिल करने की बात कही है.
उन्होंने कहा, “हमने खर्च का अनुमान लगाया है… हमें जीडीपी के 1.5 फीसदी की जरुरत होगी. क्या हमारा देश सर्वाधिक गरीब लोगों के लिए जीडीपी का 1.5 फीसदी खर्च नहीं कर सकता है. ”
इटली और फिनलैंड जैसे समृद्ध देशों में भी न्यूनतम आय सुनिश्चित करने के लिए यूबीआई जैसी योजना लागू है.
इनपुट : द टेलीग्राफ, द क्विंट, और भाषा