सुप्रीम कोर्ट ने सांप्रदायिक ताकतों के मुद्दे का अंत किया: सीपीएम
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने अयोध्या फैसले पर प्रेस स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है कि इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने उस विवाद का अंत कर दिया है, जिसका इस्तेमाल सांप्रदायिक ताकतों ने किया और जिसकी वजह से बड़े स्तर पर हिंसा हुई और जानें गईं.
सीपीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन एक ट्रस्ट के जरिए मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पक्ष को दे दी है. वहीं कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया है.
सीपीएम ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी का हमेशा से यही मत रहा है कि अगर विवाद का हल मध्यस्थता से नहीं निकलता तो न्यायिक तरीके से इसका हल निकाला जाना चाहिए. पार्टी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे का न्यायिक फैसला कर दिया है, हालांकि इसके बाद भी फैसले से जुड़े कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो सवालों के दायरे में हैं.
पार्टी ने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में बाबरी मस्जिद गिराने को गैरकानूनी बताया है. यह एक आपराधिक कृत्य था और देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धातों पर हमला था. इससे जुड़े मामले की जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए और अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए.
पार्टी ने कहा कि कोर्ट ने 1991 के धार्मिक स्थान पूजा एक्ट की सराहना की है. इस कानून के तहत यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आगे किसी धार्मिक स्थान को लेकर ऐसा विवाद खड़ा ना हो और इसका प्रयोग सांप्रदायिक ताकतों द्वारा ना किया जा सके.
पार्टी ने अंत में कहा कि फैसले को लेकर कोई भी ऐसा कृत्य नहीं होना चाहिए, जिससे सामाजिक समरसता बिगड़े.
वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी स्टेटमेंट जारी कर इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है. इसी के साथ दशकों से चल रहे इस विवाद का अंत हो गया है.
पार्टी ने कहा कि सभी धर्मों को बराबर मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह सांमजस्यपूर्ण निर्णय दिया है. इस फैसले को नैतिकता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के वृहद परिपेक्ष्य में देखना चाहिए. इसे किसी भी पक्ष की जीत या हार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.
पार्टी ने अपील की है कि लोग शांति और सद्भाव बनाए रखें.
भाकपा (माले) ने भी इस फैसले पर प्रेस स्टेटमेंट जारी कर प्रतिक्रिया दी है. पार्टी ने कहा है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस फैसले में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना को सही नहीं ठहराया गया है.
पार्टी ने कहा है फैसला विवाद का विश्वसनीय और ठोस हल नहीं निकाल पाया है. पार्टी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की फैसले पूर्व टिप्पणियों और निष्कर्ष में जिस तरह की बेतरतीबी है, वह इस फैसले को असंगत बनाती है.
पार्टी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कुल सही टिप्पणी करते हुए कहा कि फैसला आस्था के आधार पर ना होकर सबूतों के आधार पर होगा लेकिन पूरी विवादित जमीन मंदिर निर्माण के लिए दे देने पर ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने बस अपने अवलोकनों के साथ ही न्याय किया है.
पार्टी ने कहा कि इस फैसले में एक जज ने परिशिष्ट लिखा है. इस जज का नाम उजागर नहीं किया गया है. इस परिशिष्ट में पूरी विवादित जगह को हिंदू आस्था के आधार पर राम का जन्म स्थान स्थापित करने की कोशिश की गई. जबकि कोर्ट ने कहा कि फैसला आस्था के आधार पर नहीं लिया जाएगा. यह बात इस फैसले को और बेतरतीब बनाती है.