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आर्थिक मंदी के बावजूद भारत में कच्चे तेल की मांग बढ़ने का अनुमान: ओपेक


surge in external debt adds worry to rise in crude oil

 

अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद भारत में कच्चे तेल की मांग ज्यादा तेजी से बढ़ेगी. वैश्विक स्तर पर इस साल और अगले साल दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में कच्चे तेल की मांग बढ़ने का अनुमान है.

तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने बुधवार को यह जानकारी दी. ओपेक ने विश्व तेल मांग पर अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की तेल मांग 2019 में 3.21 फीसदी बढ़कर 48.8 लाख बैरल प्रतिदिन हो जाने का अनुमान है. इससे पिछले साल यह 47.3 लाख बैरल प्रतिदिन था. वहीं 2020 में यह 3.36 फीसदी की वृद्धि के साथ 50.5 लाख बैरल प्रतिदिन हो जाने का अनुमान है.

चीन में 2019 में तेल की मांग में 2.73 फीसदी और 2020 में 2.37 फीसदी की वृद्धि के अनुमान के मुकाबले अधिक है. हालांकि चीन इस साल 1.306 करोड़ बैरल प्रतिदिन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश बना रहेगा. चीन से केवल अमेरिका आगे है, जिसकी खपत इस साल 2.094 करोड़ बैरल प्रतिदिन रहने का अनुमान है.

ओपेक के अनुसार वैश्विक स्तर पर तेल मांग में इस साल 10.2 लाख टन बैरल प्रतिदिन वृद्धि का अनुमान है. यह पिछले अनुमान से 80 हजार बैरल प्रतिदिन कम है.

संगठन के अनुसार, ‘‘तेल मांग में गिरावट का अनुमान 2019 की पहली छमाही में विभिन्न वैश्विक मांग केंद्रों से कमजोर आंकड़ों तथा कमजोर आर्थिक वृद्धि के अनुमान पर आधारित है.’’

ओपेक ने कहा, ‘‘वर्ष 2020 में विश्व में तेल मांग 10.8 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ने का अनुमान है. यह भी पिछले आंकलन के मुकाबले 60,000 बैरल प्रतिदिन कम है.

भारत को बड़ा उपभोक्ता देश मानने वाला तेल निर्यातक देशों के संगठन ने कहा कि दक्षिण एशियाई देश ने संरचनात्मक चुनौतियों के बीच 2019 की पहली छमाही में कमजोर आर्थिक वृद्धि दर से काफी अनुभव लिया है.

ओपेक के अनुसार इस साल की दूसरी छमाही में कुछ तेजी की संभावना है लेकिन वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले साल के मुकाबले कम है. वहीं 2020 में यह 6.7 प्रतिशत रह सकती है.

दूसरी ओर चीन की वृद्धि दर इस साल 6.2 प्रतिशत तथा 2020 में 5.9 प्रतिशत अनुमानित है.


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