डीएचएफएल ने बीजेपी को साढ़े 19 करोड़ का अवैध चंदा दिया: कोबरापोस्ट
समाचार पोर्टल कोबरापोस्ट ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) कंपनी पर करोड़ो रुपये के हेर-फेर का आरोप लगाया है. प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया गया कि यह देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है.
आरोप है कि डीएचएफएल कंपनी की ओर से शेल कंपनियों को लोन दिया गया. बाद में यह राशि डीएचएफएल के प्रमोटर्स की कंपनियों तक पहुंच गई. जिससे प्रमोटर्स ने बड़ी कंपनियों के शेयर खरीदे और देश विदेशों में संपत्ति बनाई.
प्रेस कांफ्रेंस में कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल, यशवंत सिन्हा, प्रशांत भूषण, नील टेरेंस, परंजॉय गुहा ठाकुरता और प्रेम शंकर झा ने ये आरोप लगाए हैं.
डीएचएफएल की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने कुल मिलाकर 36 बैंको से 97,000 करोड़ रुपये जुटाए. इन बैंको में 32 सरकारी और निजी बैंकों के अलावा छह विदेशी बैंक शामिल हैं. इसके साथ ही डीएचएफएल के मालिकों ने अपनी निजी कंपनियों से बीजेपी को गैर कानूनी तरीके से चंदा पहुंचाया. कोबरा पोस्ट ने कुल 31,500 करोड़ के घोटाला का दावा किया है.
कोबरा पोस्ट के मुताबिक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुजरात की पांच कंपनियों को 1,160 करोड़ रुपये एडवांस लोन दिया गया. इसी तरह से डीएचएफएल ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले छह कंपनियों को 1,320 करोड़ रुपये का एडवांस लोन दिया.
कोबरापोस्ट ने अपने खुलासे में दावा किया है कि डीएचएफएल की फाइनेंस कमेटी के मेजोरिटी मेंबर कपिल वाधवन और धीरज वाधवन की कंपनियों की ओर से वित्त वर्ष 2014-15 और 2016-17 के बीच बीजेपी को साढ़े 19 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. आरकेडब्लू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, स्किल रियेटॉर्स प्राइवेट लिमिटेड और दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से यह चंदा दिया गया.
कोबरा पोस्ट ने दावा किया है कि चंदा देने में कंपनी एक्ट 2013 की धारा 182 के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है.
भारतीय स्टेट बैंक ने 11,650 करोड़ रुपये डीएचएफएल कंपनी को जारी किया. वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक इंडिया ने चार-चार हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया है.
कंपनी की गड़बड़ी पर रेटिंग एजेंसी, सेबी, वित्त मंत्रालय सहित दूसरी नियामक संस्था की नजर नहीं गई.