‘फेसबुक पर ब्राह्मणवाद का विरोध करने के चलते हुई गिरफ्तारी’
फेसबुक पर कथित तौर हिंदू धर्म और ब्राह्मणों के खिलाफ टिप्पणी करने के चलते गिरफ्तार हुए सुनील कुमार निषाद को जमानत मिल गई है. निषाद का कहना है कि उन्होंने अपने पोस्ट में किसी धर्म विशेष की आलोचना नहीं की थी, बल्कि भेदभाव को बढ़ावा देने वाले ‘ब्राह्मणवाद’ के खिलाफ लिखा था.
इंडियन एक्सप्रेस को सुनील कुमार निषाद ने बताया, “मुझे नहीं पता कि किसने मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मैं किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं करना चाहता था. जो भी मैंने लिखा वो तथ्यों और हाई कोर्ट के पूर्व फैसलों पर आधारित है. अगर किसी को मेरे तथ्यों से परेशानी है तो वो मुझसे बात कर सकते थे.”
मुंबई के रहने वाले निषाद (39 वर्ष) ओबीसी समुदाय से आते हैं और फिलहाल विखरोली के पार्कसाईट में होम्योपैथी के डॉक्टर हैं.
शिव सेना के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता रवींद्र तिवारी ने पार्कसाईट थाना में निषाद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने 15 मई को निषाद के खिलाफ एफआरआर दर्ज की थी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
जमानत मिलने के बाद उनके वकील ने बताया कि वो एफआईआर रद्द करवाने के लिए बंबई हाई कोर्ट जाएंगे.
निषाद का कहना है कि वह खुद एक हिंदू हैं और उन्होंने किसी धर्म को निशाना नहीं बनाया है. वो कहते हैं कि उन्होंने ब्राह्मणवाद का विरोध किया है, जो लोगों में भेदभाव को बढ़ावा देता है. निषाद कहते हैं, “डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और ज्योतिबा फुले जैसे विचारकों ने भी ब्राह्मणवाद का विरोध किया था.”
वहीं शिकायतकर्ता का कहना है कि निषाद ने जो लिखा उससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. उन्होंने कहा, “इससे पहले भी दूसरे लोगों के जरीए मैंने उन्हें इस तरह के पोस्ट नहीं लिखने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और पिछले दो साल से लगातार इस तरह के पोस्ट लिख रहे हैं. अभी कुछ समय पहले जब मेरे एक परिचित उनसे जांच कराने पहुंचे तो उन्होंने उसे भी वही बात कहनी शुरू कर दी. तब मैंने फैसला किया कि मैं इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराऊंगा.
डॉ. निषाद की फेसबुक वॉल से पता चलता है कि वो बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एंप्लाई फेडरेशन (बीएएमसीईएफ) काडर के सदस्य हैं. बीएएमसीईएफ की शुरआत बीएसपी संस्थापक कांशीराम ने की थी. निषाद अपने फेसबुक वॉल पर ईवीएम और बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ लिखते रहे हैं.