घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुईं: आरबीआई रिपोर्ट


bank credit growth slows to 10.24 percent and deposits at 9.73 percent

 

आरबीआई की हालिया रिपोर्ट में घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने की बात कही गई है. आरबीआई ने निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत बताई है. रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट, 2019 में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 प्रतिशत बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंची है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएलएंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह 20 प्रतिशत घटा है. इसके साथ ही कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मौजूदा दौर को ‘नरमी का ऐसा दौर बताया जो चक्रीय गिरावट में बदल’ गया. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नीति निर्माताओं और सरकार की शीर्ष प्राथमिकता उपभोग और निजी निवेश बढ़ाने की होनी चाहिए.

वित्त वर्ष 2018-19 की  वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने इस बात को स्वीकार किया है कि सही समस्या की पहचान करना मुश्किल है.

रिजर्व बैंक ने इसी महीने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत किया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष इस समय जो बड़ा सवाल हैं: वह यह कि क्या हम अस्थाई नरमी में है या यह चक्रीय गिरावट है अथवा इस सुस्ती के पीछे संरचनात्मक मुद्दे बड़ी वजह हैं?

केंद्रीय बैंक ने कहा कि नरमी का यह दौर एक गहरी संरचनात्मक सुस्ती के बजाय चक्रीय गिरावट का हो सकता है.

रिजर्व बैंक ने कहा कि प्राथमिकता उपभोग में सुधार और निजी निवेश में बढ़ोतरी बैंकिंग और गैर- बैंकिंग क्षेत्रों को मजबूत कर, बुनियादी ढांचा खर्च में बड़ी वृद्धि और श्रम कानून, कराधान और अन्य कानूनी सुधारों के क्रियान्वयन के जरिये इसे हासिल किया जा सकता है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल मांग उम्मीद से अधिक कमजोर पड़ी है. घरेलू मांग में सुस्ती से अर्थव्यवस्था में ‘जोश’ का अभाव है.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि वृहद आर्थिक स्थिरता के चमकदार पहलुओं में बेहतर मानसून की वजह से मुद्रास्फीति अनुकूल रहने, राजकोषीय घाटे पर काबू और चालू खाते का घाटा निचले स्तर पर रहना शामिल है.

वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए हैं.

सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है.


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