विवाहेतर संबंध के लिए हुई विभागीय कार्रवाई गैर-कानूनी


In Kozhikode, Kerala, the police have arrested EK Usman in an alleged triple talaq case

 

व्यक्ति की आजादी और फैसले लेने का अधिकार मानवीय गरिमा के तहत आता है. इस आधार पर विवाहेत्तर संबंध के एक मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा है कि ऐसे संबंधों के लिए राज्य सरकार के पास सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है.

मार्च 2001 में एक पुलिस इंस्पेक्टर और महिला कांस्टेबल को विवाहेत्तर संबंधों के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. इसके साथ ही महिला के बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाने का आदेश भी दिया गया था. कोर्ट ने याचिका पर फैसला आने तक निलंबन के आदेश और विभागीय कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, जस्टिस संजीव प्रकाश ने सात मार्च को अपने फैसले में कहा कि सरकार की ओर से की गई कार्रवाई गैर-कानूनी है.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोर्ट यह मानता है कि पार्टनर के जीवित होने पर किसी महिला या पुरुष के साथ संबंध रखने को समाज की नैतिकता के आधार पर व्याभिचार की श्रेणी में रखा जा सकता है, लेकिन इस आधार पर कोई नियोक्ता कार्रवाई नहीं कर सकता. यह मामला सिविल कानूनों के तहत आता है और ऐसे मामलों में तलाक के लिए अर्जी देनी चाहिए.”

अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने अपनी दलील में कहा कि राज्य के पास सेवा कानूनों के तहत कर्मचारियों पर कुछ विशेष अधिकार और नियंत्रण हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी कोई भी गतिविधि जिससे समाज में किसी तरह के टकराव की स्थिति पैदा होती हो, उसे अनैतिक आचरण की तरह लेना चाहिए.

कोर्ट ने हिन्दू पौराणिक उदाहरणों को देते हुए कहा कि समाज के बदलाव के साथ ही नैतिकता की परिभाषा भी बदलती रही है. कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग समाज में नैतिकता को लेकर अलग-अलग मापदंड हैं.

कोर्ट ने कहा कि मानव की गरिमा स्वायत्तता की अवधारणा के अधिकार से जुड़ी हुई है और कोई भी अपने शरीर या अपनी पसंद के पार्टनर के साथ रहने या संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र है.

पसंद और चुनाव का अधिकार विभागीय कार्रवाई के अंंतर्गत नहीं आता है. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जीवन से बाहर के मामलों में नियोक्ता को कर्मचारी की मॉरल पुलिसिंग करने का अधिकार नहीं है.

उन्होंने कहा कि बच्चे के पिता को तय करने के लिए डीएनए टेस्ट करवाने का प्रावधान है, लेकिन यह अधिकार विभाग के पास नहीं है.

राजस्थान के एक मामले में राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी को विवाहेत्तर संबंधो के आरोप में सेवा से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने अपनी बर्खास्तगी के विरोध में सेन्ट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल(सीएटी) में अपील की है.


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