पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने सांसदों से की RTI बचाने की अपील


former central information commissioner writes letter to three chief ministers

  ट्विटर

केंद्रीय सूचना आयोग के पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यालु ने सांसदों से अपील की है कि वे सूचना अधिकार कानून को कमजोर करने के प्रयासों को नाकाम करें. उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यपालिका, विधायिका के अधिकार हड़पने की कोशिश कर रही है.

सांसदों को लिखे गए एक खुले पत्र में उन्होंने आरटीआई अधिनियम में संशोधन को लेकर चिंता जताई. उन्होंने मोदी सरकार पर इस अधिनियम को कमजोर करने का आरोप लगाया. श्रीधर ने कहा कि मोदी सरकार इसमें संशोधन कर इसे सरकार (कार्यपालिका) के आधीन लाने की कोशिश कर रही है.

इस पत्र में कहा गया है, “राज्यसभा के सांसदों पर अधिक जिम्मेदारी है, क्योंकि वे राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं. जिनका एक निष्पक्ष आयुक्त की नियुक्ति करने का अधिकार वापस लेकर केंद्र को दिया जा रहा है.”

उन्होंने कहा, “मैं संसद के हर सदस्य से आरटीआई को बचाने का अनुरोध करता हूं…सरकार को आयोग और उसके मूल्यवान अधिकारों की हत्या करने की इजाजत ना दें.”

इससे पहले बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए गठबंधन ने 19 जुलाई को लोकसभा में आरटीआई संशोधन विधेयक पेश किया था. इस संशोधन विधेयक के पास होने के बाद केंद्र और राज्यों में सूचना आयुक्तों का कार्यकाल, वेतन भत्ते और सेवा की अन्य शर्तों के निर्धारण की ताकत केंद्र के हाथ में आ जाएगी.

श्रीधर ने कहा, “चुनाव आयोग अभिव्यक्ति की आजादी के सिर्फ कुछ हिस्से को ही लागू करता है, जबकि सूचना आयोग अभिव्यक्ति के बड़े दायरे को सुनिश्चित करता है. बिना सूचना पाए कोई नागरिक सरकार की गलत नीतियों का विरोध नहीं कर सकता. अगर नियम के तहत आरटीआई का जवाब दिया जाता है तो इसका सीधा प्रभाव प्रशासन पर पड़ता है, विशेषकर पीडीएस और भ्रष्टाचार पर.”

उधर सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई) ने भी इसका विरोध किया है. एनसीपीआरआई की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में इसको पीछे धकेलने वाला बताया गया है.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रस्तावित संशोधन के द्वारा पारदर्शिता के लिए सबसे उपयोगी कानून को कमजोर किया जा रहा है.


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