फिक्की ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए की वित्तीय सहायता की मांग


ficci estimated gdp growth rate for current fiscal year around seven percent

 

उद्योग संगठन फिक्की ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होने से ठीक पहले अगले बजट में अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता देने की वकालत की है.

फिक्की ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों तथा कमजोर पड़ती घरेलू मांग को देखते हुए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अगले बजट में सरकार को वित्तीय सहायता की व्यवस्था करनी चाहिए.

देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2018-19 की दिसंबर तिमाही में गिरकर 6.60 प्रतिशत पर आ गयी है. यह पांच तिमाहियों की सबसे धीमी दर है.

फिक्की ने बजट से पहले वित्त मंत्रालय को दिए ज्ञापन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही है. हालांकि अभी कुछ समय से कमजोर वैश्विक आर्थिक माहौल तथा नरम पड़ती घरेलू मांग के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है.

उसने कहा, “यह गंभीर चिंता का विषय है और यदि इस पर जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो सुस्ती का दौर लंबा खिंच सकता है.”

सरकार ने 2019-20 का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया. वहीं पूर्ण बजट जुलाई में पेश किए जाने की संभावना है.

वृद्धि को गति देने के लिए फिक्की ने कंपनी कर में कमी और न्यूनतम वैकल्पिक कर समाप्त करने की मांग की है.

उद्योग मंडल ने कहा कि केंद्रीय बजट में व्यापार धारणा तथा निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर होना चाहिए. सभी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर को कम कर 25 प्रतिशत पर लाना चाहिए जैसा कि पूर्व में प्रस्ताव किया गया था.


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