एफएमसीजी क्षेत्र के पिछले 15 सालों में सबसे बदतर स्थिति में होने की आशंका
वैश्विक ब्रोकरेज एजेंसी क्रेडिट सुइस ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत के एफएमसीजी क्षेत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं दिए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में एफएमसीजी क्षेत्र की राजस्व वृद्धि दर के पिछले 15 सालों में सबसे धीमे रहने की आशंका है.
क्रेडिट सुइस की यह रिपोर्ट तब आई है, जब त्योहारों का सीजन आने के चलते एफएमसीजी सेक्टर के वापस से पटरी पर आने की बात कही जा रही थी. एफएमसीजी सेक्टर के तहत रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद आते हैं.
एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भले ही 2016 से मंदी दस्तक दे रही हो लेकिन बीते दो सालों में नोटबंदी और फिर जीएसटी की वजह से इस क्षेत्र में आर्थिक संकट और गहरा हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर की राजस्व वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत रह जाएगी. इस लिहाज से यह वित्त वर्ष पिछले 15 सालों में एफएमसीजी राजस्व वृद्धि के मामले सबसे धीमा होगा.
अभी फिलहाल एफएमसीजी सेक्टर की राजस्व वृद्धि दर सात प्रतिशत है, जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम है. वहीं बीएसई एफएमसीजी इंडेक्स साल 2019 में 7.4 तक गिर चुका है. हालांकि, व्यापक तौर पर इसके सेंसेक्स में 1.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में इससे पहले इतनी अधिक कमी 2000-2003 में देखी गई थी. अपनी रिपोर्ट में एजेंसी ने ब्रिटेनिया और पिडिलाइट की रेटिंग को घटा दिया है. ब्रिटेनिया की रेटिंग को कम करने की वजह उसके मुख्य बिस्कुट बिजनेस में कमी आने को बताया गया है. ब्रिटेनिया का 80 फीसद राजस्व बिस्कुट के बिजनेस से आता है.
वहीं एजेंसी नेस्ले इंडिया, डाबर इंडिया और कोलगेट पामोलिव के प्रति नरम रही है. गोदरेज कंज्यूमर को भी चालू वित्त वर्ष के शेष हिस्से में अपनी बिक्री में सुधार होने की उम्मीद है.