खाद्य मुद्रास्फीति 33 महीनों में सबसे ऊपर


food inflation is on it's high of 33 months

 

बीते अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सामान्य रही, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति बीते 33 महीनों में सबसे ज्यादा रही. इस दौरान खाने की वस्तुएं जैसे सब्जी, अनाज, गेहूं और दाल की कीमतों में 7.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य (डब्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर 3.1 फीसदी रही. जबकि इस साल में मार्च के 3.6 के मुकाबले अप्रैल में 3.2 फीसदी रही.

हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक खाने की चीजों की कीमतों में ये वृद्धि फिलहाल अपने आप में कोई चेतावनी नहीं है. लेकिन आगे कीमतें किस ओर जाती हैं ये बहुत हद तक मानसून पर निर्भर करेगा.

अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी कहते हैं, “2018 में बड़ी गिरावट के बाद खाने की कीमतों में सुधार हो रहा है. ये चेतावनी बिल्कुल भी नहीं है बल्कि किसानों के लिए अच्छी खबर है. उपभोक्ताओं को खुदरा कीमतों में कुछ बढ़त का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन सरकार पहले से मौजूद स्टॉक के बल पर इसे आसानी से नियंत्रित कर सकती है.”

फिलहाल थोक और खुदरा दोनों तरह के मूल्य सूचकांक आरबीआई की निर्धारित दर से नीचे ही चल रहे हैं. इससे उम्मीद लगाई जा सकती है कि केंद्रीय बैंक आगामी जून महीने की मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में फिर से कटौती करे.

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी कहते हैं कि थोक मूल्य सूचकांक खाने और खाने से इतर चीजों के लिए अलग-अलग रुझान दे रहे हैं.

जोशी कहते हैं, “पहले के आंकड़े दिखाते हैं कि खाद्य पदार्थों के थोक मूल्यों में बढ़त का धीमा असर उपभोक्ता कीमतों पर भी रहा है. इसलिए आने वाले महीनों में इन कीमतों में भी बढ़त देखी जा सकती है.”

एडेलविस की माधवी अरोड़ा कहती हैं, “हमें लगता है कि मुख्य खाने की चीजों की कीमतों में वृद्धि होने लगी है, जैसा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में दिखाई भी दे रहा है. लेकिन फिर भी खुदरा कीमतों में चढ़ाव सीमित रहा है. दूसरी डब्ल्यूपीए वस्तुओं के मुकाबले दालों की कीमतों में मार्च के बाद तेज बढ़त हुई है. साल दर साल दाल की कीमतों में मुद्रास्फीति 14 फीसदी के आस-पास रही है. अनाजों के मामले में भी लगभग ऐसा ही हाल रहा है.”

अरोड़ा के मुताबिक आने वाले समय में खाद्य पदार्थों की कीमतें मानसून और कच्चे तेल की कीमतों पर बहुत हद तक निर्भर करेंगी.


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