आतंकवाद फैलाने में इंटरनेट के प्रयोग पर रोक लगाने को जी 20 देश एकजुट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जी-20 देशों के अन्य नेताओं ने आतंकवाद एवं चरमपंथ को धन मुहैया करने और उन्हें प्रोत्साहन देने में इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगाने का संकल्प लिया. साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इंटरनेट अवश्य ही ‘खुला, मुक्त और सुरक्षित’ रहना चाहिए, लेकिन यह आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं होना चाहिए.
जी-20 समूह के नेताओं ने ओसाका शिखर सम्मेलन के बाद एक बयान में कहा कि वे लोगों को आतंकवादियों से बचाने और आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है.
उन्होंने एक अलग बयान में कहा कि नेता के तौर पर हमारी एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. यह सरकार की पहली जिम्मेदारी है कि वह आतंकवाद को रोके और उसका मुकाबला करे. अपने लोगों को आतंकवादियों से बचाने और आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में या उन्हें प्रोत्साहन देने में इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए ओसाका में हम अपनी यह प्रतिबद्धता दोहराते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम जी-20 के नेता, सभी तरह के आतंकवाद पर अपनी सख्त निंदा को दोहराते हैं. ’’
जी- 20 नेताओं ने कहा कि न्यूजीलैंड में 51 लोगों की जान लेने वाले क्राइस्टचर्च आतंकवादी हमले की लाइव-स्ट्रीमिंग और अन्य हालिया आतंकी घटनाएं इस बात की तात्कालिकता को प्रदर्शित करती हैं कि हमें संयुक्त राष्ट्र के संबद्ध प्रस्तावों, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति और आतंकवाद को रोकने पर 2017 में हैम्पबर्ग में दिया जी-20 नेताओं का बयान सहित अन्य उपायों को अवश्य ही लागू करना होगा.
हालांकि, नेताओं ने इस बात पर सहमति प्रकट की कि इस तरह की कोशिशों में मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सूचना तक पहुंच जैसी मूलभूत स्वतंत्रता का अवश्य ही सम्मान किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की भर्ती, आतंकी हरकतों के लिए उकसाने या उसकी तैयारी करने में आतंकवादियों के लिए इंटरनेट सुरक्षित पनागाह नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘ इस बारे में हम ऑनलाइन मंचों से मूल सिद्धांत का पालन करने का अनुरोध करते हैं, जैसा कि हैम्पबर्ग में कहा गया था कि कानून का शासन ऑफलाइन मंच की तरह ही ऑनलाइन मंच पर भी लागू होता है.