चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उद्योग मंडल फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे में यह अनुमान लगाया गया है.
सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 2020-21 में जीडीपी की वृद्धि दर मामूली बढ़कर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी.
फिक्की ने कहा कि 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत से 7.3 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है.
यह सर्वे मई, 2019 में किया गया है. इसमें उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्रों के अर्थशास्त्रियों के विचार लिए गए हैं.
चालू वित्त वर्ष में कृषि और संबद्ध गतिविधियों की औसत वृद्धि दर तीन प्रतिशत, उद्योग और सेवा क्षेत्र की क्रमश: 6.9 प्रतिशत और आठ प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.
औद्योगिक उत्पादन क्षेत्र (आईआईपी) क्षेत्र के लिए चालू वित्त वर्ष में औसत वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. आईआईपी की वृद्धि दर न्यूनतम 3.3 प्रतिशत और अधिकतम 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.
सर्वे में कहा गया है कि 2019-20 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत रहेगी. इसका न्यूनतम 2.1 प्रतिशत तथा अधिकतम चार प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसी तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के औसतन चार प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसके 3.5 प्रतिशत से 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
सर्वे में कहा गया है कि बाहरी मोर्चे पर चिंता कायम है. 2019-20 में चालू खाते का घाटा (कैड) जीडीपी के 2.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है. वहीं औसत निर्यात वृद्धि चार प्रतिशत रहने का अनुमान है. दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष में देश का आयात 3.8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है.
सर्वे कहता है कि व्यापार युद्ध में तेजी का असर वैश्विक व्यापार परिदृश्य पर पड़ेगा. इससे वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ सकता है. ऐसे में अर्थशास्त्री देश के निर्यात की संभावनाओं को लेकर बहुत अधिक आशान्वित नहीं हैं.