आधार अधिनियम संशोधन विधेयक पर उठ रहे हैं सवाल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी आधार के प्रयोग में निजता को लेकर स्थिति साफ होती नजर नहीं आ रही है. सरकारी बैंकों से लेकर निजी कंपनियां उपभोक्ताओं से सेवा के बदले आधार की मांग तो कर ही रही हैं, अब सरकार के प्रस्तावित आधार अधिनियम संशोधन विधेयक पर भी सवाल उठ रहे हैं.
लोकसभा में पेश किए संशोधन विधेयक में निजी टेलीकॉम कंपनियों और बैंकों को एक बार फिर से पहचान के रूप में आधार मांगने का रास्ता साफ कर दिया गया है. इसमें सूचना के लीक होने और उसके दुरूपयोग की चिंताओं को भी दरकिनार किया गया है.
संसद से लेकर बाहर तक इस विधेयक का व्यापक विरोध हो रहा है. लोकसभा में बहस के दौरान विपक्ष की ओर से इसका विधेयक का जोरदार विरोध किया गया. तृणमूल कांग्रेस को नेता सौगत रॉय और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस विधेयक पर अपना विरोध जताया.
विपक्ष ने कहा कि प्रस्तावित कानून सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है और निजता के अधिकार का हनन भी है.
इसके अलावा सरकार टेलीग्राफ अधिनियम और मनी लांडरिंग रोकथाम अधिनियम में भी संशोधन के लिए विधेयक लाने वाली है. जिससे की मोबाइल कंपनियां पहचान के रूप में आधार का प्रयोग कर सकें. कैबिनेट से इन मसौदों को मंजूरी पहले ही मिल चुकी है.
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सरकार ने यह फैसला निजी कंपनियों को ग्राहकों की जांच के लिए आधार के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद लिया गया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया था. इस धारा के तहत नया सिम कार्ड लेने और बैंक खाता खोलने के लिए उसे आधार से जोड़ना अनिवार्य था.
जानकारों का मानना है कि आधार अधिनियम में संशोधन करके सरकार एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बचकर निकल जाना चाहती है.