आरक्षण को किनारे करते हुए सरकार ने की संयुक्त सचिव पद पर नियुक्तियां
सरकार ने बीते साल सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया में नया नियम लागू करते हुए लेटरल एंट्री को मंजूरी दी थी. सरकार का कहना था कि इसके जरिए निजी क्षेत्र के हुनरमंद लोगों को सरकारी क्षेत्र में सेवा देने का मौका दिया जाएगा.
हालांकि एक आरटीआई से पता चला है कि सरकार ने इस साल अप्रैल में लेटरल एंट्री के तहत संयुक्त सचिव स्तर पर नियुक्तियों के लिए आरक्षण रहित भर्ती प्रक्रिया अपनाई.
आरटीआई से सामने आया है कि अप्रैल में लेटरल एंट्री के तहत संयुक्त सचिव के स्तर पर नियुक्ति के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने आरक्षण रहित भर्ती प्रक्रिया अपनाई. इस भर्ती में एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नहीं अपनाया गया है.
आरटीआई एक्ट के तहत इंडियन एक्सप्रेस को डीओपीटी ने बताया,”एक पोस्ट पर नियुक्ति के लिए आरक्षण का नियम लागू नहीं होता है. इस स्कीम के तहत भर्तियां एक पोस्ट पर की जा रही हैं, ऐसे में इन पर आरक्षण लागू नहीं होता है.”
अप्रैल में संयुक्त सचिव के पद पर सरकार ने नौ लोगों का चयन किया है. पद के लिए चुने गए अंबर दूबे, राजीव सक्सेना, सुजीत कुमार बाजपेयी, दिनेश दयानंद जगदाले, काकोली घोष, भूषण कुमार, अरुण गोयल, सौरभ मिश्रा और सुमन प्रसाद सिंह जल्द ही अपना पद ग्रहण कर सकते हैं.
सरकार की ओर से ये भर्तियां अलग-अलग विभागों में की गई हैं. अगर ये भर्तियां नौ सीटों के समूह में की जाती तो आरक्षण के तहत दो सीटें ओबीसी, वहीं एक-एक सीट एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होतीं.
29 नवंबर, 2018 को डीओपीटी की अतिरिक्त सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने यूपीएससी के सचिव राकेश गुप्ता को लिखा था कि “राज्य सराकरों, सार्वजनिक क्षेत्र, स्वायत्त निकाय, सांविधिक निकाय, विश्वविद्यालयों से उम्मीदवारों की नियुक्ति को लेकर अनिवार्य रूप से आरक्षण देने के निर्देश नहीं हैं.”
उन्होंने पत्र में लिखा, इन पदों पर मौजूद भर्ती प्रक्रिया के तहत अनिर्वाय रूप से एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों को आरक्षण देने का निर्देश नहीं है. हालांकि एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवार भर्ती की पात्रता पूरी करते हैं तो उचित प्रतिनिधित्व मुहैया कराने कि लिए उन्हें महत्तव दिया जाएगा.”
इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान अन्य सामाजिक वर्गाों से कितने उम्मीदवारो की भर्ती हुई, इस सवाल के जवाब में यूपीएससी ने बताया, “जैसा की डीओपीटी की ओर से बताया गया था कि जॉइंट सेक्रेटरी स्तर पर उम्मीदवारों की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर हुई है. डीओपीटी के ओर से स्पष्ट किया गया है कि इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नहीं होगा.”
इस संबंध में पूछे गए एक और सवाल के जवाब में यूपीएससी ने कहा कि, “… क्योंकि भार्तियां आरक्षण के आधार पर नहीं की गई हैं इसलिए वर्गों के आधार पर आवेदनकर्ताओं की संख्या का डाटा मौजूद नहीं है.”
जबकि इससे पहले 15 नवंबर 2018 में डीओपीटी की ओर से जारी एक बयान में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि केंद्रीय सरकार में 45 या इससे अधिक दिन के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर की गई नियुक्तियों में एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाना चाहिए.