जीएसटी लागू करने से पहले सरकार ने नहीं किया परीक्षण: सीएजी
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने जीएसटी व्यवस्था पर अपनी पहली ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने जीएसटी की व्यवस्था लागू करने से पहले इसका परीक्षण नहीं किया, जिसकी वजह से अनुपालन ठीक नहीं रहा और सरकार का कर राजस्व कम हो गया.
मंगलवार को सीएजी ने जीएसटी पर अपनी पहली ऑडिट रिपोर्ट संसद में पेश की.
जीएसटी जुलाई 2017 में लागू किया गया था. सीएजी ने रिपोर्ट में कहा कि व्यवस्था लागू होने के दो साल बाद भी इनवॉइस मैचिंग सिस्टम पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है. साथ ही कहा कि जीएसटी रिटर्न की संख्या हर महीने घट रही है.
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक सरकार राज्यों को राजस्व देने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन कर रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, “जीएसटी लागू किए जाने के दो वर्ष बाद भी ‘बिल मिलान’ के माध्यम से ‘इन-पुट टैक्स क्रेडिट’ (आईटीसी) देने की व्यवस्था सुचारु नहीं हो सकी है और गैर-दखलकारी ई-कर प्रणाली भी सुनिश्चित नहीं की जा सकी है.”
सीएजी ने कहा, “रिटर्न तंत्र की जटिलता और तकनीकी अड़चनों के कारण इनवॉइस-मैचिंग को वापस लेना पड़ा, जो आईटीसी फर्जीवाड़े की संभावना वाली प्रणाली को प्रतिपादित करती थी. इनवॉइस मैचिंग, मूल्याकंन आदि के आभाव में जीएसटी व्यवस्था का अनुपालन नहीं हो रहा है.”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जीएसटी व्यवस्था के तहत इनवॉइस मैचिंग की विफलता दिखाती है कि राजस्व विभाग, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड और जीएसटी नेटवर्क के बीच समन्वय की कमी है. इसके साथ ही ये संस्थान व्यवस्था को लागू करने से पहले उसके सुचारु कार्यन्वयन को सुनिश्चित नहीं कर सके.
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार राज्यों को किए जाने वाले राजस्व ट्रांसफर के नियमों का पालन नहीं कर रही है. “सरकार ने 2017-18 में एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) मूल्य का भुगतान, ट्रांसफर नियमों का उल्लंघन करते हुए किया.”
“सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए राज्यों को साल का बकाया आईजीएसटी देने के लिए वित्त आयोग की प्रक्रिया का सहारा लिया. ऐसा करते हुए सरकार ने संवैधानिक नियमों और आईजीएसटी एक्ट का उल्लंघन किया है.”
आईजीएसटी एक्ट में दिए गए ‘प्लेस ऑफ सप्लाई’ कॉन्सेपट की जगह राज्यों को होने वाला फंड के वितरण अलग तरीके से किया गया.
सीएजी ने रिपोर्ट में कम टैक्स वसूली के लिए व्यवस्था लागू करने से पूर्व परिक्षण नहीं करने को जिम्मेदार ठहराया. रिपोर्ट में कहा है कि 2017-18 में सरकार का अप्रत्यक्ष कर घटकर 5.8 फीसदी रह गया. जबकि वर्ष 2016-17 में यह 21.33 फीसदी था.