भारी छूट के बाद भी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी नहीं


Two lakh fine under the amended Motor Vehicles Act

 

मांग में कमी, बिक्री में लगातार भारी गिरावट और बढ़ते स्टॉक को देखते हुए व्यावसायिक वाहन निर्माता ट्रकों पर भारी भरकम छूट देने के लिए मजबूर हो गए हैं. उद्योग प्रमुखों और प्रमुख व्यावसायिक वाहन विक्रेताओं ने बताया कि मध्यम और भारी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में लगातार जुलाई महीने में भी गिरावट दर्ज की गई.

जहां देश के विभिन्न इलाकों में स्टॉक 60 दिन या इससे पुराना हो रहा है, वहीं निर्माता ट्रकों के मूल्य पर आठ लाख तक की छूट दे रहे हैं.

ट्रकों की बिक्री आर्थिक वृद्धि का एक अहम सूचक है और बीते समय में इनकी बिक्री काफी बुरी तरह प्रभावित हुई है. घटती मांग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड 40-49 टन के ट्रकों पर आठ लाख तक की छूट दे रहे हैं.

टाटा और अशोक लेलैंड दो सबसे बड़े व्यावसायिक वाहन निर्माता हैं.

वहीं दूसरी ओर वीई कमर्शियल व्हीकल लिमिटेड और डालमिया इंडिया कमर्शियल व्हीकल प्राइवेट लिमिटेड ने दावा किया कि दो प्रमुख ट्रक निर्माताओं द्वारा भारी छूट के कारण उनकी बिक्री प्रभावित हुई है.

लाइव मिंट लिखता है कि निर्माता ट्रकों पर छूट इलाके में किराया-भाड़ा, विभिन्न उत्पादों में मांग-आपूर्ति, प्रमुख व्यावसायिक विक्रेताओं के आधार पर निश्चित करते हैं. इसके साथ ही ऑर्डर, क्षेत्र, उपलब्धता, वित्तीय सहायता और बचे हुए स्टॉक को देखते हुए भी ऑफर्स दिए जाते हैं.

मूल्य के लिहाज से राजस्थान के बाजार संवेदनशील हैं, बीते कुछ महीनों से यहां मध्यम और भारी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में 50 फीसदी तक की कमी आई है.

जयपुर के एक ट्रक विक्रेता ने बताया कि “राजस्थान में 40-49 टन के ट्रकों की अधिक मांग रहती है. हालांकि फिलहाल स्टील, सीमेंट, बिल्डिंग मैटिरियल और अन्य उत्पादों की ढुलाई में कमी आई है जिसके कारण ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रेलर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. जिसकी वजह से ग्राहकों को लुभाने के लिए निर्माता आकर्षक ऑफर्स का सहारा ले रहे हैं.”

वहीं दक्षिण भारत के केरल में एक भारी व्यावसायिक वाहन विक्रेता ने कहा कि “मध्यम और भारी व्यावसायिक वाहनों की बिक्री 40-50 फीसदी तक गिरी है और स्टॉक अगले 60 दिनों के लिए है. इस साल फिर से बारिश हुई है और ऐसा लग नहीं रहा कि बाजार अगले दो महीनों में ऊपर जाएगा. अगस्त में दो हफ्ते निकल गए हैं और बुकिंग 50 फीसदी तक कम हुई है.”

उन्होंने कहा, “दो हफ्तों से ज्यादा तक के ट्रक के स्टॉक नहीं होने चाहिए क्योंकि बढ़ते स्टॉक के लोन पर डीलर भारी भरकम ब्याज देते हैं. अमूमन बिक्री मूल्य पर 10 फीसदी तक की छूट दी जाती है, जो अब बढ़कर 15-20 फीसदी हो गई है यानी करीबन आठ लाख रुपये तक.”

केरल में प्रति माह 800 ट्रक बेचने वाले टाटा मोटर्स के एक डीलर ने बताया कि “49 टन के ट्रक पर पांच लाख तक की छूट दी जा रही है. सिगना 4923.S ट्रैक्टर ( ₹35 lakh) और 4923 सिगना 16 पहियों वाले ट्रक ( ₹40.52 lakh) में बेचे जा रहे हैं.”

तीन अगस्त को अशोक लेलैंड लिमिटेड के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर गोपाल महादेवन ने कहा, “ऐसा नहीं है कि केवल दाम की वजह से हम उपभोक्ताओं के एक बड़े हिस्से को ऐसे ही जाने देंगे.”

रिलायंस सिक्योरिटी के विश्लेषक मितुल शाह ने कहा, “भारी व्यावसायिक वाहनों के लिए 60 दिनों का स्टॉक है और औसतन प्रति ट्रक 3.5-4.5 लाख की छूट दी जा रही है. ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था में आगे भी परेशानियां जारी रही थी तो आगे दामों में और अधिक छूट दी जा सकती है.”


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