आईएएस खेमका ने तबादले के विरोध में खट्टर को लिखा पत्र


IAS Khemka wrote a letter to Khattar protesting the transfer

 

29 साल के कार्यकाल में 53वीं बार स्थानांतरण को ‘झेलने’ वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर कई गंभीर आरोप लगाया है. हालिया स्थानांतरण पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार चलाना सेवा नहीं रह गया है, अब यह कारोबार हो गया है.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यह पहला मौका है जब उन्होंने तबादले का पत्र लिखकर विरोध किया है.

स्थानांतरण आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने लिखा, ‘मैं आपसे अपने स्तर पर फाइल को देखने का अनुरोध करता हूं जिसमें जीआईएस से संबंधित टेंडर में वित्तीय अनियमितता का जिक्र है.’

हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार बनने के बाद 27 नवंबर को खेमका का तबादला हरियाणा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के प्रधान सचिव पद पर किया गया.  मार्च में खेमका को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया था.

इसके बाद नाराजगी जताते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1991 बैच के अधिकारी खेमका ने ट्वीट किया, ”फिर तबादला. लौट कर फिर वहीं.”

उन्होंने कहा, ”कल संविधान दिवस मनाया गया. आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया. कुछ प्रसन्न होंगे. अंतिम ठिकाने जो लगा.” उन्होंने कहा,”ईमानदारी का ईनाम जलालत.”

अब उन्होंने मुख्यमंत्री खट्टर को डेमी-ऑफिसियल पत्र भेजा है. खट्टर की ओर से पत्र का अबतक कोई जवाब नहीं आया है.

पत्र में उन्होंने कहा है, ‘क्षुद्र बुद्धि लोग ईमानदारी और प्रभावशाली तरीके से काम करने से रोकने के लिए अपमान और भय पैदा करते हैं.  शासन सेवा नहीं रह गया है, यह कारोबार बन गया है. केवल हमारे जैसे कुछ लोग खुद को जनता के हित में काम करने वाला मानते हैं और व्यवहार करते हैं.’

उन्होंने पत्र में कहा है कि विश्वास तो नहीं है फिर भी उम्मीद करता हूं कि आप पत्र को कूड़ेदान में नहीं फेकेंगे.

उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जनता के हित में अपनी बात रखने की मांग की है और अब तक के ज्यादातर तबादले को आईएएस कैडर नियमों का उल्लंघन बताया है.

उन्होंने पत्र में स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी-डीएलएफ प्रकरण का भी जिक्र किया है. इसमें कथित भ्रष्टाचार के मामले को अक्टूबर 2012 में खेमका ने सामने लाया था.

उन्होंने पत्र में कहा है कि आपकी पार्टी(बीजेपी) के द्वारा डीएलएफ-स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी लिमिटेड लाइसेंस ब्लैकमार्केटिंग को सबसे जोर-शोर से प्रचारित किया गया. लेकिन कोई कार्रवाई करने के बजाय, जिन्होंने स्काईलाइट को लाइसेंस जारी किया उन्हें बेनामी लाइसेंस रिन्यू करने की अनुमति दी गई.

उन्होंने पत्र में सरकार पर डीएलएफ को तरजीह देने का आरोप लगाते हुए लिखा कि रैपिड मेट्रो को डीएलएफ के मुख्य प्रोपर्टी से गुजारा गया. उन्होंने कहा है कि वजीराबाद वन क्षेत्र की नीलामी प्रक्रिया का प्रबंधन करने वाले अधिकारी को महत्वपूर्ण पद दिया गया और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें आराम की नौकरी दी गई.

खेमका ने पत्र में कहा है कि 2014 में बीजेपी ने जिन वादों के साथ सत्ता हासिल की गई थी उसे भुला दिया गया है.

(इनपुट भाषा से भी)


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