गुजरात: 16 साल में हिरासत में 180 मौतें, एक भी पुलिस अधिकारी को सजा नहीं
कल जामनगर (गुजरात) सत्र न्यायालय ने भले ही पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को लगभग 20 साल पुराने हिरासत में मौत के एक मामले में दोषी करार दिया हो लेकिन आंकड़ें बताते हैं कि गुजरात में 2001 से 2016 के बीच 26 मामलों में हिरासत में हुई कुल 180 मौतों में महज 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि चार्जशीट के बावजूद किसी एक को भी सजा नहीं हुई.
वहीं संजीव भट्ट को जामनगर सत्र न्यायलय ने इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर यह बात लिखी है. आंकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में 2001-16 के बीच हिरासत में हुई मौतों की कुल संख्या 1,557 है. इन 16 सालों में हिरासत में हुई मौत के मामले में महज 26 पुलिस अधिकारियों को दोषी करार किया गया है. इन 26 पुलिस अधिकारियों में से ज्यादातर उत्तर प्रदेश के हैं.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, इन 16 सालों में सबसे ज्यादा हिरासत में मौतें (362) महाराष्ट्र में हुई हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं. इन राज्यों में 100 से ज्यादा हिरासत में मौत के मामले सामने आए हैं.
इन सभी राज्यों में से केवल उत्तर प्रदेश में 7 पुलिस अधिकारियों को हिरासत में मौत के मामलों में सजा सुनाई गई है.
यूपी के अलावा किसी भी अन्य राज्य (इसमें गुजरात भी शामिल है) के एक भी पुलिस अधिकारी को इस दौरान हिरासत में मौत के मामले में सजा नहीं हुई है.
इन पांचों राज्यों के अलावा 538 लोगों की हिरासत में मौत हुई है. इसमें भी किसी एक भी पुलिस अधिकारियों को सजा नहीं हुई. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में 4-4 पुलिस अधिकारियों और ओडिशा में एक पुलिस अधिकारी को को सजा सुनाई गई है.