DRDO का दावा, खुद बनाएंगे एंटी-टैंक मिसाइल, भारत ने खत्म की इजराइल के साथ डील
भारत ने डीआरडीओ ने दावे के बाद इजराइल के साथ तीन हजार करोड़ से ज्यादा की एंटी-टैंक मिसाइल डील खत्म कर दी है. डीआरडीओ का दावा है कि उसने भारत में निर्मित एंटी-टैंक मिसाइल के दो चरणों का परीक्षण पूरा कर लिया है और 2021 तक वो इस तरह की हजारों मिसाइल बनाने में सक्षम होगा.
यह डील इजराइल की डिफेंस कॉनट्रेक्टर ‘राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम’ के साथ हुई थी.
डील से जुड़े हुए सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इजराइल को डीआरडीओ के पक्ष में डील खत्म करने की जानकारी दे दी गई है. डीआरडीओ की ओर से दावा किया गया है कि वो वीईएम टेक्नोलॉजी लिमिटेड की पार्टनरशिप में अगले दो सालों में ऐसी ही मिसाइल विकसित करने में सक्षम हो जाएगा.
डीआरडीओ ने मिसाइल के राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे उत्पादन के बारे में बताते हुए कहा कि मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इसमें दूसरे चरण का परिक्षण पूरा कर लिया गया है. डीआरडीओ ने दावा किया है कि बीते सितंबर में एमपीएटीजीएम का अहमदनगर रैंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था.
हालांकि सेना के अधिकारियों के बीच मिसाइल की अंतिम तारीख और काम करने के लिए जरूरी चीजों पर डीआरडीओ के दावे पर संदेह बरकार है. इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि मेक इन इंडिया के तहत सरकारी दावों को पूरा करने के लिए मिसाइल के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. मंत्रालय की ओर से इस बारे में कहा गया है कि आयात की लंबी प्रक्रिया पर निर्भर होने से बेहतर है कि हम अपनी धरती पर ही एंटी-टैंक मिसाइल बनाएं.
अधिकारी बताते हैं कि सरकार की ओर से बीते साल फ्रांस फाइटर जेट राफेल की खरीद पर हुए विवाद को देखते हुए स्पाइक मिसाइल की खरीद को टाल दिया गया था. सत्तारूढ़ बीजेपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में राफेल डील में घोटाले का दावा करते हुए पीएम मोदी पर कई आरोप लगाए थे.
मिसाइल की दो चरणों की टेस्टिंग के बाद सेना फिलहाल पाकिस्तान से लगे पश्चिमी इलाकों में स्थित रेगिस्तान में मिसाइल के प्रदर्शन को लेकर संदेहास्पद है. ऐसे में डीआरडीओ गरम वातावरण में स्पाइक मिसाइल के इंफ्रारेड सिस्टम को जांचने के लिए अन्य टेस्ट करेगा.
कहा जा रहा है कि 2021 तक डीआरडीओ इस तरह की हजारों मिसाइलों के डिलवरी के लिए सक्षम होगा.
इससे पहले भारतीय सरकार ने साल 2014 में इजराइल के साथ 321 स्पाइक लॉचर और 8,356 मिसाइल की डील को रद्द करते हुए स्पाइक मिसाइल के लिए करार किया था. रक्षा मंत्रालय ने तब यूएस निर्मित एफजीएम-148 जेवलीन के जगह स्पाइक को चुना था. लेकिन इसके बाद साल 2017 में सरकार ने इजराइल के साथ करार खत्म करते हुए कॉन्ट्रैक्ट डीआरडीओ को दे दिया था.
हालांकि जनवरी 2018 में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा और कल्याणी ग्रुप की पार्टरनरशिप में खोली गई उत्पादन इकाई के बाद सरकार ने डील को एक बार फिर मंजूरी दे दी थी.