महंगे अमेरिकी हॉक ड्रोन खरीदने को लेकर भारतीय वायु सेना ने उठाए सवाल


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  मिलिट्री डॉट कॉम

बीते महीने ईरान द्वारा अमेरिकी ग्लोबल हॉक सर्विलांस ड्रोन को पर्शिया की खाड़ी में मार गिराने के बाद इस ड्रोन को लेकर भारत और अमेरिका के बीच हुई डील पर दोबारा विचार को बल मिला है. इस घटना के बाद इस हॉक ड्रोन की कीमत और इसके बचे रहने की क्षमता को लेकर तीनों सेनाओं में संदेह पैदा हो गया है.

भारतीय सेना की अमेरिका से इस तरह के 30 विमान छह अरब डॉलर में खरीदने की योजना है. हालांकि अभी तक तीनों सेनाओं ने रक्षा मंत्रालय से इनकी खरीदारी के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) लेने का प्रयास नहीं किया है.

योजना के मुताबिक थल और वायु सेना को 10 प्रीडेटर ड्रोन लेने हैं, जबकि नेवी को लंबी दूरी के सर्विलांस वर्जन लेने हैं. अब खबरों के मुताबिक वायु सेना ने पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर इन विमानों के बचे रहने की क्षमता पर सवाल उठाए हैं. उस हालात में जबकि दोनों पड़ोसी विरोधियों के पास जमीन से हवा में मार करने वाला बेहतरीन मिसाइल सिस्टम मौजूद है.

हिंदुस्तान टाइम्स सेना के सूत्रों के हवाले से लिखता है कि इस ड्रोन का कई मौकों पर अच्छा प्रयोग हुआ है, लेकिन ईरान की घटना के बाद सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, “इस हथियारबंद ड्रोन का अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईराक और सीरिया में सफलतापूर्वक प्रयोग हो चुका है. इसमें से केवल पाकिस्तान ही एक ऐसा देश था जिसके पास इसे रोकने की क्षमता है, लेकिन इसे हवा से हवा में मार गिराने वाली मिसाइल का शिकार होने बाद हमें खरीदने से पहले 100 बार सोचना होगा.”

हालांकि हाल ही में कश्मीर को लेकर ट्रंप की हालिया टिप्पणी का भारत के इस सौदे से कोई लेना-देना नहीं है, भारत ट्रंप की इस टिप्पणी को दरकिनार कर आने वाले समय में भारत-अमेरिका संबंध बेहतर बनाने पर बल देना चाहेगा.

सैन्य प्रतिष्ठानों के मुताबकि इस सौदे में जो दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु है वो है इसकी बहुत अधिक कीमत. इस सौदे में सिर्फ ड्रोन की लागत 10 करोड़ डॉलर है, जबकि इसे पूरी तरह से हथियार बंद करने के लिए और 10 करोड़ डॉलर की आवश्यकता होगी.

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी कहते हैं, “इस तरह के एक ड्रोन की कीमत आधुनिक रफायल विमानों से भी अधिक हो जाएगी. इस हालात में वायु सेना रफायल जैसे कई तरह की भूमिकाओं में काम करने वाले लड़ाकू विमान को खरीदने को प्राथमिकता देगी. इसके अलावा भारतीय सेना अपने टी-72 टैंक को आधुनिक करने के बारे में सोचेगी. भारतीय नेवी को सतह पर लड़ने वाले जहाजों की जरूरत है ताकि वो खुद को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक शक्ति के रुप में स्थापित कर सके.”

इस साल फरवरी में विंग कमांडर अभिनंदन का मिग-21, पाकिस्तानी एफ-16 द्वारा गिराए जाने के बाद भारतीय सेना लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और होवित्जर तोप, टैंक आदि खरीदना चाहती है. ताकि पश्चिमी सीमा को और सुरक्षित बनाया जा सके.

जब इस बारे में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी से संपर्क किया गया तो उसने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि मंत्रालय इन विमानों की डील पर तब फैसला करेगा जब तीनों सेनाएं मंत्रालय से इस संबंध में बात करेंगी.


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