चुनावी खुमार उतरने के बाद अब शेयर बाजार कर रहा है सच्चाई का सामना
चुनाव परिणामों के बाद निवेशकों में आया उत्साह ठंडा पड़ता नजर आ रहा है. शुरुआती उछाल के बाद निफ्टी 500 सूचकांक चार फीसदी गिरावट का सामना कर चुका है.
समाचार पत्र मिंट लिखता है कि निवेशकों का उत्साह फीका पड़ने के पीछे कई वजहें हैं. इनमें ट्रेड वार के और गंभीर होने की संभावना, मानसून में देरी, आर्थिक आंकड़ों को लेकर अस्पष्टता और बड़े कर्जदारों का लगातार डिफाल्टर घोषित होना शामिल है.
भले ही दलाल स्ट्रीट में खामोशी फैली हो लेकिन कुछ जानकार अचानक आई इस तेज गिरावट को लेकर अचंभित नहीं हैं. इनका मानना है कि इससे पहले घरेलू निवेशक सरकारी सुधारों को लेकर उत्साहित थे, इस दौरान वे अन्य मूलभूत चुनौतियों की अनदेखी कर गए.
मिंट सूत्रों के हवाले से लिखता है, “वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था को लेकर ज्यादातर चिंताएं नई नहीं हैं. ये हमेशा आस-पास ही रही हैं, लेकिन आम चुनाव पर ज्यादा ध्यान होने के चलते निवेशक इनकी अनदेखी कर गए. इस समय जो सबसे ज्यादा चिंता का विषय है वो मिड-कैप्स के साथ ब्लू-चिप शेयरों में देखी जा रही कमजोरी है. ब्लू-चिप शेयरों ने अब तक मार्केट को थाम रखा था, लेकिन अब इनमें भी गिरावट देखी जा रही है.”
इसी हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक करने जा रहा है. इसको लेकर भी जानकार चिंता जता रहे हैं, क्योंकि इसका सीधा असर वैश्विक बाजार खासकर उभरते बाजारों पर होता है.
आईसीआईसीआई बैंक की शोध शाखा के विश्लेषक कहते हैं कि फेडरल रिजर्व की समीक्षा के परिणाम जरूरी नहीं उसी तरह से हों जैसा कि अभी बाजार इन्हें ले रहा है.
वो कहते हैं, “रिटेल सेल्स की अच्छी रिपोर्ट आने के बाद यूएस अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं कम हुई हैं. लेकिन गिरावट का खतरा बना हुआ है. बाजार का ध्यान फेडरल रिजर्व की बैठक पर लगा हुआ है और ट्रेड वार को लेकर चिंताएं भी अभी बनी हुई हैं.”
इसका सीधा सा मतलब है कि अगर यूएस फेडरल बाजार के मन मुताबिक ब्याज दरें रखता है तब भी उत्साह ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है.