अमेरिकी लोकतंत्र को खतरे में बता बाइडेन राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल
NBC
अमेरिकी लोकतंत्र को खतरे में बताते हुए जो बाइडेन ने 2020 में होने जा रहे चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपना दावा ठोंक दिया है.
जो बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं और उनके सामने एलिजाबेथ वारेन, कमला हैरिस और बर्नी सैंडर्स समेत 19 सीनेटरों की चुनौती है.
76 साल के जो बाइडेन ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा, “हमारे देश और लोकतंत्र के मुख्य मूल्य और जिसने भी अमेरिका को अमेरिका बनाया है, वो सब खतरे में हैं.”
अपने इस वीडियो में राष्ट्रपति ट्रंप पर निशाना साधते हुए जो बाइडेन ने कहा, “अमेरिका इस समय अपनी आत्मा को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. अगर डोनल्ड ट्रंप को चार साल के लिए और राष्ट्रपति के तौर पर चुना जाता है तो वह इस देश के चरित्र को हमेशा के लिए बदल देंगे. मैं यह सब चुपचाप खड़े होकर नहीं देखने वाला.”
छह बार के सीनेटर जो बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के सबसे अनुभवी उम्मीदवार हैं. इससे पहले उन्होंने 1988 और 2008 में भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवीरी के लिए दावा ठोंका था.
बाइडेन 2008 और 2012 में अमेरिका के उप-राष्ट्रपति का पद संभाल चुके हैं. इस दौरान उन्होंने कुछ बेहद संवेदनशील मुद्दों पर प्रगतिशील रुख अपनाकर काफी लोकप्रियता बटोरी.
हालांकि, कई मुद्दों पर जो बाइडेन को आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है.
इन मुद्दों में ईराक युद्ध का समर्थन, नस्लीय विविधिता की बेहतरी के लिए किए जा रहे प्रयासों का विरोध इत्यादि प्रमुख हैं.
इसके साथ ही उनकी उम्र को लेकर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी युवा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है. ऐसे में 76 वर्ष के जो बाइडेन पार्टी के लिए कितने उपयुक्त साबित होंगे, यह देखने वाली बात होगी.
जो बाइडेन 20 नवबंर 1942 को पेन्सिलविनिया के स्कॉर्टन में पैदा हुए थे. 1972 में मात्र 29 साल की उम्र में वे पहली बार सीनेटर बने. सीनेटर बनने के बिल्कुल पहले एक कार दुर्घटना में उनकी पत्नी नाइलिया और बच्ची नाओमी की मृत्यु हो गई थी.
जो बाइडेन ने 1988 के चुनाव में पहली बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए दावेदारी पेश की. लेकिन बाद में वे खुद ही पीछे हट गए. उनके पीछे हटने का कारण उस समय यूके में लेबर पार्टी के नेता नील किनक के भाषण को फेर-बदलकर पेश करना था. उन्होंने यह बात खुद स्वीकार की थी.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद उन्होंने सीनेट में लगातार ऊपर उठने पर अपना ध्यान केंद्रित किया. आगे वे न्याय एवं विदेश संबंध समितियों के चेयरमैन बने.
2008 में वे एक बार फिर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दोड़ में शामिल हुए. लेकिन इस बार उन्हें उतना राजनीतिक समर्थन नहीं मिला. वे कैंपेन से बाहर हो गए. इसकी जगह उन्होंने ओबामा टिकट पर उप-राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी पेश की.