विवाद के बाद जस्टिस एके सीकरी ने ठुकराया सरकार का ऑफर
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एके सीकरी ने मोदी सरकार का वो ऑफर ठुकरा दिया है जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थ ट्रिब्युनल (सीएसटीए) के सदस्य के तौर पर नामित करने का फैसला लिया गया था.
यह फैसला पिछले महीने लिया गया था. उस वक्त सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी.
जस्टिस एके सीकरी हाल ही में आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाने वाली चयन समिति के सदस्य थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली इस चयन समिति ने 2:1 के फैसले से आलोक वर्मा का तबादला कर दिया था. नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार चयन समिति में जस्टिस एके सिकरी के अलावा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के विरोध में मत दिया था. इस लिहाज से जस्टिस एके सीकरी का वोट काफी अहम था. उन्होंने आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाने के पक्ष में मतदान दिया था.
इस फैसले के बाद आलोक वर्मा ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इस फैसले की काफी आलोचना हो रही है और इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने इस फैसले पर कहा है कि चयन समति के समक्ष आलोक वर्मा को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए था. यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद जस्टिस सीकरी सीएसटीए के सदस्य के तौर पर पदभार ग्रहण वाले थे. लेकिन अब उन्होंने इस पद के लिए अपनी सहमति वापस ले ली है.