नेता प्रतिपक्ष और लोकसभा उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस का अधिकार: के सुरेश


k suresh says leader of opposition and deputy speaker position belongs to congress

 

लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश ने कहा है कि सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते उनकी पार्टी का नेता प्रतिपक्ष और सदन के उपाध्यक्ष पद पर अधिकार बनता है. उन्होंने मांग की है कि सरकार को यह दोनों जिम्मेदारी कांग्रेस को देनी चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर सरकार से आधिकारिक तौर पर आग्रह करने को लेकर पार्टी ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.

केरल से लोकसभा के लिए सातवीं बार चुने गए सुरेश ने से कहा, “नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष पद पर हमारा अधिकार है. नेता प्रतिपक्ष के लिए 10 फीसदी सदस्य होने की बात एक तकनीकी मुद्दा है. अतीत में ऐसी स्थिति में सरकारों ने फैसला किया है कि नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाए.”

उन्होंने यह भी दावा किया कि “वो (सत्तापक्ष) नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष के पद का राजनीतिकरण कर रहे हैं. वो नहीं चाहते कि सदन में विपक्ष की पहचान हो. वो विपक्ष को अलग थलग रखना चाहते हैं.”

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इन दोनों पदों के लिए सरकार से आधिकारिक रूप से आग्रह करेगी तो सुरेश ने कहा, “अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. वैसे, मांग किए बिना भी वे नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष का पद दे सकते हैं क्योंकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का इन दोनों पदों पर हक है.”

दरअसल, कांग्रेस 2014 की तरह इस बार भी नेता प्रतिपक्ष के लिए जरूरी संख्या हासिल नहीं कर सकी है. पार्टी ने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल से सांसद अधीर रंजन चौधरी को सदन में नेता और सुरेश को मुख्य सचेतक बनाया.

लोकसभा में शपथ ग्रहण के दौरान धार्मिक नारे लगने का जिक्र करते हुए सुरेश ने कहा, “मैं पिछले तीन दशक से सांसद हूँ, ऐसा कभी नहीं देखा. अटल बिहारी वजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के समय सदन में बीजेपी की तरफ से धार्मिक नारे नहीं लगते थे. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह सब शुरू हुआ है.”

उन्होंने कहा,”अगर किसी को धार्मिक नारे लगाने हैं तो उसे धार्मिक स्थलों पर जाकर ऐसा करना चाहिए.”

राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद बनी असमंजस की स्थिति पर सुरेश ने कहा,”यह सच है कि हम हार गए हैं, लेकिन हमें लड़ाई जारी रखनी चहिए. हम राहुल गांधी से आग्रह करते हैं कि वह पार्टी का नेतृत्व जारी रखें.”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस अतीत में भी ऐसे संकटों से बाहर निकली है और इस बार भी निकलेगी.

सुरेश ने कहा कि 52 सदस्य होने के बावजूद कांग्रेस अपने सहयोगी दलों और समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.


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