अब महिंद्रा के कर्मचारियों पर पड़ी ऑटो क्षेत्र में सुस्ती की मार
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ऑटो क्षेत्र में जारी सुस्ती की मार लगातार कर्माचरियों पर पड़ रही है. मांग में कमी और परिचालन बंद होने के बीच अब तक ऑटो उद्योग में करीबन 2 लाख से अधिक कर्मचारी अपनी नौकरियों से हाथ धो चुके हैं.
मारुती सुजुकी के बाद अब महिंद्र एंड महिंद्रा ने भी अपने 1500 अस्थायी कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
इससे पहले देश की सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माता मारुति सुजुकी ने करीबन 3000 अस्थायी कर्माचारियों की छंटनी की थी.
महिंद्रा एंड महिंद्रा एक अप्रैल 2019 के बाद से अब तक 1500 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुका है. कंपनी के एक सूत्र ने जानकारी दी कि “यह तो केवल शुरुआत है. अगर स्थितियां बेहतर नहीं हुई तो कंपनी और अधिक लोगों को निकालने के लिए मजबूर हो जाएगी. हालांकि अब तक किसी भी स्थायी कर्माचारी को नौकरी से नहीं निकाला गया है.”
इससे पहले कंपनी के सीईओ पवन गोयनका ने श्रीलंका में पहले वाहन असेंबली प्लांट के उद्घाटन समारोह में यही बात कही थी.
सूत्र ने बताया कि टोयोटा मोटर्स में अगले महीने से करीबन 1200 कर्मचारी अतिरिक्त होंगे. हालांकि जानकारी है कि कंपनी इन कर्मचारियों की छटनी नहीं करेगी. कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि हम इन लोगों को नौकरी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने कहा, “अस्थायी कर्मचारी मुख्य रूप से प्रोडक्शन लाइन में काम करते हैं. ये रखरखाव और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में काम करते हैं.”
ऑटो उद्योग में मंदी जुलाई में लगातार नौवें महीने भी रही. जुलाई महीने में सभी वाहनों की बिक्री 18.71 फीसदी गिरकर 18 लाख 25 हजार इकाई रही. जबकि बीते साल जुलाई महीने में 22 लाख 45 हजार वाहन बेचे गए थे. यह पिछले 19 साल में सबसे बड़ी गिरावट रही.
बीते साल अक्टूबर के बाद से ही वाहनों की बिक्री में गिरावट का सिलसिला जारी है. तमाम कोशिशों के बाद भी ऑटो उद्योग बिक्री में लगातार आ रही गिरावट से निकलने में नाकामयाब रहा है. निर्माताओं की उपभोक्ताओं को लुभाने की तमाम कोशिशें विफल रही हैं.
इस बीच मांग और आपूर्ति में तालमेल बैठाने के लिए कई निर्माताओं ने परिचालन बंद किए. वहीं इस बीच क्षेत्र में मंदी की मार के चलते करीबन दो लाख 15 हजार कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.