महाराष्ट्र में हो सकती है पानी की भारी किल्लत
महाराष्ट्र को जल्द ही पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक़, राज्य के 3,267 बांधों में लगभग 20 फीसदी पानी ही बचा है.जल संसाधन विभाग ने चेतावनी दी है कि इससे जल्द ही राज्य के उद्योग प्रभावित हो सकते हैं.
राज्य के बांधों में कुल 40,897.95 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रह करने की क्षमता है. फिलहाल बांधों में लगभग 8 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की कमी है.
हालांकि माना जा रहा है कि उद्योगों की प्रकृति और परिस्थितियों के आधार पर ही पानी की कटौती की जाएगी. अखबार ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि बांधों में पानी पांच फीसदी से भी कम है, वहां मई के महीने में उद्योगों के लिए पानी की आपूर्ति अस्थायी रूप से बंद की जा सकती है.
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले से ही सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता पीने का पानी और चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करना है. माना जा रहा है कि सरकार ने ये दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं कि उसकी पहली प्राथमिकता पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है. उसके बाद ही खेती और उद्योगों को पानी दिया जाएगा.
इससे पहले राज्य सरकार ने महाराष्ट्र के 355 तालुकाओं में से 151 तालुकाओं को सूखा घोषित कर दिया था. सरकार ने सभी जिले के कलेक्टरों को सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी के टैंकरों को भेजने का निर्देश दिया है.
जल संसाधन विभाग की सूचना के अनुसार, मराठवाड़ा का औरंगाबाद डिवीजन पानी की कमी से बुरी तरह प्रभावित है. औरंगाबाद डिवीजन के कुल 964 बांधों में सिर्फ 5.27 फीसदी पानी है.
पिछले साल सूखा पड़ने के बावजूद बांधों में लगभग 31 फीसदी पानी था. लेकिन इस बार मराठवाड़ा के ज्यादातर बांधों में पानी पूरी तरह सूख चुका है. इसमें पैठण, मंजारा, मजलगांव, येल्धारी, सिद्धेश्वर, लोअर टेरना, सीना कोलेगांव और लोअर दुधना शामिल हैं.
इतना ही नहीं राज्य में अब तक 19 बांधों में पानी का स्टॉक खत्म हो चुका है.
दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका नागपुर डिवीजन (पूर्वी विदर्भ क्षेत्र) है. इस क्षेत्र के 384 बांधों में पानी का स्तर लगभग साढ़े चार हजार मिलियन क्यूबिक मीटर से घटकर 502.02 मिलियन क्यूबिक मीटर ही रह गया है.
तटीय कोंकण क्षेत्र के 176 बांधों में भी पानी का स्तर कम हुआ है. इस क्षेत्र में कभी सूखे जैसे हालात पैदा नहीं हुए, लेकिन इस बार पानी का स्तर पिछले साल के लगभग 50 फीसदी से घटकर 40 फीसदी हो गया है.
वहीं नासिक डिविजन के हालात भी बेहतर नहीं हैं. यहां के 571 बांधों में बीते वर्ष की तुलना में जल स्तर 35 फीसदी से घटकर 19 फीसदी हो गया है.