एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के फैसले पर गहराया विवाद
एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने का फैसला संदेह के घेरे में आ गया है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उच्च अधिकार प्राप्त कमिटी(एचपीसी) ने नागेश्वर राव की नियुक्ति पर सहमति जताई थी. लेकिन इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने मल्लिकार्जुन खड़गे के पत्र के हवाले से बताया कि एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के बारे में बैठक में कोई बात नहीं हुई थी.
एके सिकरी और मल्लिकार्जुन खड़गे एचपीसी के सदस्य हैं.
द लीफलेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एचपीसी बैठक का ब्यौरा राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता के साथ साझा नहीं किया गया था.
माना जा रहा है कि 10 फरवरी को एचपीसी की बैठक के बाद सीबीआई के अंतरिम निदेशक की नियुक्ति को हरी झंडी मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट नागेश्वर राव की नियुक्ति को निरस्त करने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है. यह याचिका गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) कॉमन काउज और आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज की ओर से दी गई है.
याचिका में कहा गया है कि डीपीएसई एक्ट, 1946 के तहत उच्च अधिकार प्राप्त कमिटी की सहमति के साथ नियुक्ति का फैसला नहीं लिया गया है.
14 जनवरी को मल्लिकार्जुन खड़गे ने एचपीसी के चेयरपर्सन पीएम मोदी को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि एचपीसी से विचार-विमर्श के बिना मल्लिकार्जुन खड़गे की नियुक्ति की गई है.