अनुच्छेद 370 हटाने की कई दलों ने की निंदा
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने का कई राजनीतिक दलों और समूहों ने विरोध किया है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड ने इसका विरोध किया है. वहीं ऑल इंडिया किसान सभा ने भी इसका विरोध किया है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए केंद्र सरकार के इस कदम को लोकतंत्र पर एक बड़ा हमला और देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है.
पार्टी ने कहा कि विभाजन के समय कश्मीर को खुद से जोड़ते हुए भारतीय राज्य ने वहां के लोगों से यह वादा किया था कि यह राज्य का विशेष दर्जा और स्वात्तता बरकरार रखेगा. भारतीय राज्य ने अपने इस वादे को अनुच्छेद 370 द्वारा अमली जामा पहनाया था. लेकिन आज मोदी सरकार ने इस अनुच्छेद को हटाकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया है.
पार्टी ने आगे कहा कि संविधान की हत्या करते हुए बीजेपी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण कर रही है, यह राष्ट्रीय एकता और भारत के राज्यों के संघ होने के विचार के खिलाफ है.
पार्टी ने कहा कि सरकार द्वार घाटी में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती, मुख्य राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद करना और आम लोगों के आवागमन पर रोक से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने यह फैसला बिना लोगों की इच्छा के लिया है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने आगे कहा कि मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम असंवैधानिक और अवैध है. आम लोगों को डराया जा रहा है कि इस तरह के तानाशाह हमले उनके जनतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर भी होंगे.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “सीमा पर स्थित राज्य, जो सांस्कृतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक तौर पर अलग है, उसे अनुच्छेद 370 के तहत जोड़कर रखा गया था. सत्ता में नशे में चूर और वोटों के लालच में बीजेपी ने इसे हटा दिया है. उन्होंने देश का सर काट दिया है. राजनीतिक दल इसके खिलाफ लड़ेंगी और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ खड़ी होंगी.”
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, “यदि आपको केवल अनुच्छेद 370 हटाना था तो आप केवल वही करते, आपने राज्य का दर्जा हटाकर इसे केंद्रशासित क्यों कर दिया? विश्व इतिहास बताता है कि लोगों को बलपूर्वक दबाने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हुआ है. आपको कम से कम लोगों को विश्वास में लेना चाहिए था.”
वहीं डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि लोगों की सलाह लिए बिना अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया है, जनतंत्र की हत्या कर दी गई है. एआईएडीएमके ने भी इसका समर्थन किया है. यह निंदनीय है.