पोम्पियो के साथ मुलाक़ात में आतंक और व्यापार मुद्दे प्राथमिकता पर
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और भारत सरकार के बीच बुधवार 26 जुलाई को दिल्ली में होने वाली मुलाकात में आतंकवाद, अफगानिस्तान, ईरान, व्यापारिक मुद्दे, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और दोनों देशों के द्विपक्षीय रक्षा संबंध शीर्ष प्राथमिकता पर होंगे. चूंकि यह मुलाक़ात अमेरिका और ईरान के बीच पैदा हुए तनावपूर्ण हालातों में हो रही है, इसलिए माना जा रहा है भारत इस मामले में पोम्पियो के सामने अपना पक्ष साफ़ करेगा. हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर है कि भारत पर्शियन गल्फ संकट को बातचीत से हल करने की बात कहेगा.
पोम्पियो की मुलाकात पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर से होगी. अगले दिन पोम्पियो की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होगी. मुलाकात के बाद माइक पोम्पियो जी-20 समिट के लिए ओसाका के लिए रवाना हो जाएंगे.
बीते कुछ समय से दोनो देशों का ध्यान द्विपक्षीय व्यापारिक मुद्दों पर केंद्रित रहा है. दोनों पक्ष इस पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. माना जा रहा है कि दोनों देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में इस दिशा में जल्द ही सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ेंगे.
हालांकि पोम्पियो के साथ बातचीत में मुख्य मुद्दा आतंकवाद होगा. माना जा रहा है कि भारत पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम ना उठाने और अफगानिस्तान को अस्थिर करने में उसकी भूमिका पर चर्चा होगी. मुम्बई, पठानकोट, उरी और पुलवामा में आतंकी हमले की जांच के लिए पहल नहीं करने और दाऊद इब्राहिम को इस्लामाबाद में पनाह देने के बारे में भी पोम्पियो के सामने बात रखी जाएगी.
एक अधिकारी ने अफगानिस्तान के संबंध में कहा, “जहां तक अफगानिस्तान की बात है, भारत अफगान लोगों के नेतृत्व वाली नियंत्रित शांति प्रक्रिया में साथ है. इस तरह की शांति प्रक्रिया सबको साथ लेकर चलने वाली है और संविधान या अफगान सरकार के रूप में पिछले 18 सालों की राजनीतिक उपलब्धियों की उपेक्षा नहीं करती.”
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारतीय तेल कंपनियों ने ईरान के साथ कोई नया समझौता नहीं किया है. भारत हाइड्रोकार्बन की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में नए विकल्प के लिए तैयार है जिसमें अमेरिका भी शामिल है. यह भी कहा जा रहा है कि भारत अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव से चिंतित है. इससे खाड़ी देशों में रह रहे 90 लाख भारतीयों को परेशानी हो सकती है. साथ ही तेल के आयात में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है. देश में 60 फीसदी तेल पश्चिमी एशिया से आयात होता है.
अधिकारियों के मुताबिक, भारत अमेरिका के साथ अपने रक्षा संबंधों को और अधिक मजबूत करने की कोशिश करेगा. भारत अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेन्टागॉन से कई उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य उपकरण खरीदने की तैयारी में है.दोनों देशों के बीच एक 24 MH60 रोमियो सीहॉक नेवल हेलिकॉप्टर और एक मिसाइल रक्षा कवच की खरीद पर बातचीत अंतिम दौर में है. इसके अलावा भारत के एजेंडे में अमेरिका से सशस्त्र ड्रोन खरीदना भी शामिल है. इसके साथ ही एक 10 P81 लंबी दूरी के समुद्री विमान, छह Apache-64 हमलावर हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमान खरीद पर भी सहमति बनने की संभावना है.
एक अधिकारी ने कहा, “सचिव पोम्पियो के साथ द्विपक्षीय बैठक में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे को लेकर भी भारत अपनी बात रखेगा. इसके अलावा सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच द्विपक्षीय मुलाकात और जनवरी 2020 में ट्रम्प के भारत दौरे पर भी बातचीत की योजना है.”
भारत की ओर से पूर्व अमेरिकी राजदूत नवतेज सरना ने कहा, “यह रणनीतिक मुद्दों पर ध्यान वापस लाने का एक अच्छा मौका है. व्यापार संबंधी मतभेदों और अन्य दिक्कतों को दूर करने के लिए दूसरे तौर-तरीकों को भी अपनाकर मतभेद सुलझाए जा सकते हैं.”