भ्रामक विज्ञापनों में आधे से ज्यादा शिक्षा जगत से संबंधित
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने जून में 190 विज्ञापनों के खिलाफ जनता को गुमराह करने की शिकायत को सही पाया है. इनमें हॉर्लिक्स, रिवाइटल और एमवे और अन्य विज्ञापन शामिल हैं.
एएससीआई ने 334 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों की समीक्षा की. इनमें से 106 विज्ञापनदाताओं ने त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की.
एएससीआई की उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) ने 190 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत को सही पाया है. सीसीसी ने कुल 228 शिकायतों की समीक्षा की. 190 भ्रामक विज्ञापनों में से सबसे अधिक 112 शिक्षा क्षेत्र के, 40 स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, 10 पर्सनल केयर, सात खाद्य एवं बेवरेजेज क्षेत्र, पांच मीडिया और प्रसारण क्षेत्र, पांच टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र और 11 अन्य श्रेणियों से थे.
परिषद ने सन फार्मा के रिवाइटल एच वूमन विज्ञापन में इस दावे को गुमराह करने वाला बताया जिसमें कहा गया है कि इस उत्पाद का इस्तेमाल करने वाली दस में से नौ महिलाएं ऊर्जावान महसूस करती हैं.
इसके अलावा एएससीआई ने मैनकाइंड फार्मा के मैनफोर्स कॉकटेल कंडोम टेलीविजन के विज्ञापन के प्रसारण के समय को लेकर कंपनी की खिंचाई की है.
नियामक ने हॉर्लिक्स के विज्ञापन को भी भ्रामक करार दिया है. साथ ही एमवे इंडिया के न्यूट्रीलाइट ट्रैडिशनल हर्ब्स रेंज के दावे को भी गुमराह करने वाला माना गया है.
हिंदुस्तान यूनिलीवर के पुरुषों की फेयर एंड लवली के विज्ञापन में सिर्फ दस सेकेंड में गोरा करने के दावे को भी भ्रामक माना गया है.