जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल छोड़ेंगे पद
कर्ज में डूबी जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल अपना पद छोड़ने पर सहमत हो गए हैं. इस बीच कंपनी के छह और विमानों की उड़ान बंद कर दी गई है. कंपनी ने ये विमान पट्टे पर लिए हुए हैं और वह इनका किराया नहीं चुका पा रही है. फिलहाल इस वजह से कंपनी के 19 विमान उड़ान नहीं भर पा रहे.
ख़बरों के मुताबिक़, नरेश गोयल कंपनी में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी कम करने पर सहमत हो गए हैं. खाड़ी की एक अन्य कंपनी एत्तिहाद एयरवेज की भी जेट एयरवेज में 24 फीसदी हिस्सेदारी है. 30 सितंबर 2018 तक कंपनी पर कर्ज बढ़ कर 8052 करोड़ पहुंच चुका था.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, कर्जदाता कंपनी से नरेश गोयल का इस्तीफा जरूरी मान रहे हैं. कर्जदाताओं का कहना है कि नरेश गोयल संकट में चल रही एयरलाइंस को उबारने के लिए फैसले नहीं ले पा रहे हैं. कर्जदाता अधिकांश हिस्सेदारी को खरीदने की तैयारी भी कर रहे हैं.
14 फरवरी को जेट एयरवेज के बोर्ड ने कर्ज रिस्ट्रक्चरिंग प्लान को मंजूरी दी थी. इसके लागू होने के बाद कर्ज देने वाले बैंक सबसे बड़े शेयर होल्डर हो जाएंगे. कंपनी की 21 फरवरी को हुई बैठक में कर्जदाताओं के बकाया कर्ज को शेयर में बदलने का भी प्रस्ताव सामने आया था जिसे एत्तिहाद ने मानने से मना कर दिया.
टाटा की ओर से जेट एयरवेज के अधिग्रहण से पीछे हटने के बाद से एत्तिहाद ग्रुप ही इस हैसियत में है कि जेट एयरवेज से जुड़ा कोई प्रस्ताव रख सके.
एत्तिहाद एयरवेज चाहता है कि फंड इकठ्ठा करने के लिए गोयल अपने शेयर बैंक को गिरवी रख दें, हालांकि गोयल इसका विरोध किया था.
कर्जदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की गोयल और एत्तिहाद एयरवेज के सीईओ टोनी डॉगलास के साथ तत्काल बैठक के बाद यह बात सामने आई है.
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अपने इक्विटी को बदलने में भी अक्षम है. यहां तक कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है. दिसंबर 2018 से मार्च 2019 के बीच कंपनी के ऊपर 17 सौ करोड़ का वित्तीय कर्ज चढ़ गया है.
जानकारों का मानना है कि अगर जेट एयरवेज डूबती है तो इससे 23 हजार नौकरियों पर खतरा आ जाएगा.