कॉर्पोरेट कर में कमी से राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.7 फीसदी रहने का अनुमान
वित्त मंत्री ने कॉर्पोरेट कर के दरों में कटौती का एलान किया है. सरकार का कहना है कि उसने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिए ये कदम उठाया है.
इस कदम का आकलन करें तो इसका सीधे तौर पर सरकार के राजकोषीय समेकन योजना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसके अलावा पिछले तीन सालों में जो राजकोषीय संतुलन बरकरार रखने में कामयाबी मिली है, उस पर सरकार के कदम के बाद उल्टा प्रभाव पड़ेगा.
माना जा रहा है कि इससे मध्यावधि में निवेश में बढ़ोतरी होगी, लेकिन तत्काल राजस्व घाटे से केंद्र का राजकोषीय घाटा बिगड़ सकता है. बजट में अनुमानित राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.3 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी पर पहुंच जाएगा, जो 40 आधार अंक में बढ़ोतरी है. वर्ष 2016-17 से यह 3.4 फीसदी पर बरकरार था.
सरकार ने 2018- 19 में राजकोषीय घाटा देश की जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
माना जा रहा है कि आयकर और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से राजस्व में एक खरब तक की कमी आएगी. इसके अलावा अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ती मंदी से राजकोषीय घाटा और बिगड़ने का अनुमान है.
एक आदर्श परिस्थिति की कि कल्पना भी कर लें जिसमें सरकार बजटीय राजस्व के लक्ष्य को प्राप्त कर भी लेती है तो भी राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.45 फीसदी पर पहुंच जाएगा. एस एंड पी ग्लोबल ने सरकार के इस कदम को क्रेडिट-निगेटिव डेवलपमेंट कहा है.
इन घोषणाओं के मद्देनजर कर विभाग का विचार है कि इस वर्ष भी 5 फीसदी की वृद्धि दर बनाए रखना एक चुनौती होगी और बजट अनुमानों को पुनरीक्षित अनुमान (रिविजन एस्टिमेट) के स्तर पर पर एक गंभीर पुनरीक्षण से गुजरने की संभावना है.
हालांकि सकल कर राजस्व में नुकसान 1.45 खरब रुपये का होगा. लेकिन केंद्र का शुद्ध घाटा लगभग 84,000 करोड़ रुपये तक होगा क्योंकि 42 फीसदी नुकसान राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा. इसी तरह प्रत्यक्ष कर और वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में 1 खरब रुपये की कमी केंद्र के बजट अनुमान के अनुसार 58,000 करोड़ रुपये से केंद्र के वित्त को प्रभावित करेगी.
विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मांग में बदलाव निवेश को बढ़ाने और कर अनुपालन में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि सुधारवादी कदम के परिणामस्वरूप इस वर्ष प्रत्यक्ष कर संग्रह में तत्काल सुधार नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि संग्रह पर वास्तविक प्रभाव केवल दो-तीन साल दिखाई देगा.