बीती तिमाही के दौरान नए निवेश में तेज गिरावट


new indian government might be stuck in dilemma on macro economics

 

देश में आर्थिक गतिविधियां काफी सुस्त दौर से गुजर रही हैं. नई परियोजनाओं पर निवेश लगातार गिरता जा रहा है. निजी सेक्टर के हालात भी कुछ अच्छे नहीं हैं. यहां भी प्रोजेक्ट रुके हुए हैं.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र की कंपनियों ने मार्च 2019 की तिमाही में करीब 1.99 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट की घोषणा की. जो कि बीते साल की इसी तिमाही से करीब 46 फीसदी कम है.

इन आंकड़ों में अभी और सुधार होना है, जिसके बाद हालात और बदतर हो सकते हैं. हालांकि ये आंकड़े भी भारतीय अर्थव्यवस्था की बदरंग तस्वीर दिखा रहे हैं.

दिसंबर 2018 की तिमाही में निजी क्षेत्र ने नए प्रोजेक्ट की घोषणा पिछली तिमाही के मुकाबले कम की थी. बीती तिमाही में निजी क्षेत्र के प्रोजेक्ट में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. अगर इन आंकड़ों की तुलना बीते साल की इसी तिमाही से करें तो इसमें 34 फीसदी की गिरावट देखी गई.

हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र में नए प्रोजेक्ट की शुरुआत में थोड़ी वृद्धि जरूर हुई है. 2019 की मार्च तिमाही में पिछले साल दिसंबर की तिमाही से इस क्षेत्र में 5.25 फीसदी की बढ़त हुई.

सरकारी क्षेत्र की इस बढ़त को स्वाभाविक माना जा रहा है, क्योंकि वित्त वर्ष खत्म होने से पहले सरकारें इन्हें पूरा करने के बारे में सोचती हैं.

विनिर्माण, खनन और रियल स्टेट क्षेत्र में होने वाले निवेश में प्रमुख तौर पर गिरावट दर्ज की गई है. निर्माण और रियल स्टेट क्षेत्र में पिछली तिमाही के मुकाबले 80 फीसदी की गिरावट नजर आई.

विनिर्माण क्षेत्र में पिछली तिमाही के मुकाबले 54 फीसदी और बीते साल की इसी तिमाही के मुकाबले 46 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

इस बीच बिजली और सेवा क्षेत्र में कुछ सुधार जरूर नजर आया है. यहां पर निवेश बीती तिमाही के लगभग दो गुना पर पहुंच गया.

निवेश में गिरावट को लोकसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. जानकारों के मुताबिक निवेशक आगामी सरकार बन जाने तक इंतजार करने के बारे में सोच सकते हैं.


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