मोदी सरकार की भूजल से जुड़ी अधिसूचना में गंभीर कमी: एनजीटी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह भूजल निकालने पर अपनी दिसंबर की अधिसूचना को लागू नहीं करें. क्योंकि इसमें गंभीर कमियां हैं.
एनजीटी ने प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण पर दो सप्ताह के भीतर नीति तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है. साथ ही दो महीने में रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
इसमें कहा गया है कि भूजल के स्तर में हाल के वर्षों में तेजी से आई कमी ‘मानव कल्याण के लिए चिंता का विषय है.’’
एनजीटी ने माना है कि इस अधिसूचना में ऐसे मानकों की कमी है जो बड़े स्तर पर भूजल दोहन को रोक सकने में सक्षम हो. इससे ओसीएस (अति शोषित, गंभीर और कम गंभीर) क्षेत्रों में पानी की कमी के साथ पर्यावरण और नदियों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा.
एनजीटी ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह हमारे मौलिक अधिकार के खिलाफ है जो भारत का संविधान हर नागरिक को अनुच्छेद 21 में जीवन का अधिकार के रूप में देता है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया. समिति में आईआईटी, आईआईएम, सीपीसीबी और नीति आयोग के प्रतिनिधि शामिल होंगे जो देश में भूजल के संरक्षण के लिए उचित नीति तैयार करने के मुद्दे का परीक्षण करेगी.
एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘भूजल निकालने के संबंध में जल संसाधन मंत्रालय की 12 दिसंबर 2018 की अधिसूचना को गंभीर कमियों को देखते हुए लागू नहीं किया जा सकता है. ताकि पर्यावरण की जरूरतों के अनुसार उचित व्यवस्था की जा सके.’’
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि यह स्पष्ट है कि वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए भूजल निकालने के लिए कठोर मानदंड तय करने और भूजल निकालने पर निगरानी के लिए मजबूत सांस्थानिक व्यवस्था करने की जगह इसे नरम बना दिया गया है. इससे जमीनी स्थिति बिगड़ गई है. इससे पर्यावरण पर असर पड़ने की संभावना है.
पीठ ने कहा, ‘‘ओसीएस क्षेत्रों में अनियंत्रित तरीके से भूजल निकालने को सही ठहराने के लिए कोई आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया गया है.’’
अधिसूचना में कहा गया है कि भूजल का दोहन करने वाले उद्योग और पैकेज्ड पीने के पानी के लिए इसका इस्तेमाल करने वालों को सरकार के पास अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना होगा. बहरहाल, कृषि क्षेत्र को इस शुल्क से छूट मिलेगी.