हाईवे को ‘लोन सिक्योरिटी’ के तौर पर रख फंड जुटाएगा एनएचआई
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) अपनी संपत्ति को ‘लोन सिक्योरिटी’ के तौर पर रखकर परियोजनाओं के लिए फंड जुटाएगा. संस्था इसे लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ बातचीत के अंतिम चरण में है.
करार की शर्तों के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एनएचएआई को प्रोजेक्ट वैल्यू का 80 प्रतिशत हिस्सा लोन के रूप में देगा. शेष पैसे का इंतजाम एनएचएआई को खुद करना पड़ेगा. एनएचएआई अगले 15 सालों में लोन चुकाएगा. लोन चुकाने के लिए पैसों का इंतजाम सुरक्षा के तौर पर रखे गए राजमार्गों से प्राप्त होने वाले टोल से किया जाएगा.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस मॉडल को ‘प्रतिभूतिकरण मॉडल’ के तौर पर जाना जाएगा और इसके तहत लोन उन्हीं राजमार्गों से प्राप्त होने वाले टोल से चुकाया जाएगा, जिनके निर्माण के लिए लोन लिया गया. यह मॉडल होम लोन मॉडल की ही तरह काम करेगा.
अधिकारी ने बताया कि अभी केवल एसबीआई ही इस मॉडल के लिए राजी हुआ है, भविष्य में और भी बैंक आगे आएंगे.
पिछले साल एनएचएआई ने एसबीआई से तीन साल तक किसी भी प्रकार का लोन ना चुकाने की शर्त पर 25 हजार करोड़ का लोन लिया था. एसबीआई और एनएचएआई के बीच इस नए करार पर बातचीत पुराने लोन से इतर हो रही है.
एलआईसी ने भी एनएचएआई के सामने प्रोजेक्ट फंड के तहत 25 हजार करोड़ का लोन देने का प्रस्ताव रखा है.
बताया जा रहा है कि फंड की व्यवस्था तीस सालों तक की जाएगी और हर 10 साल में ब्याज दर का निर्धारण किया जाएगा.
एनएचएआई ने पिछले साल सरकार के नेशलन स्माल सेविंग फंड से 20 हजार करोड़ का लोन लिया था. इस वित्त वर्ष में यह इस रकम को दोगुना करने की योजना बना रहा है. नेशनल स्माल सेविंग का यह फंड इस वित्त वर्ष में एनएचएआई द्वारा 75 हजार करोड़ का लोन लेने की योजना का हिस्सा है. इसके अलावा सरकार ने एनएचएआई के लिए 36,691 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
एनएचएआई के लिए सरकार द्वारा फंड का आवंटन पिछले दो सालों में बढ़ा है. इसके बाद भी एनएचएआई को आंतरिक और अतिरिक्त बजट संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत पड़ी है. हाल ही में पीएमओ ने भी एनएचएआई की वित्तीय हालत पर चिंता जताई थी.