नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर नार्थ-ईस्ट में उबाल, आठ को बंद की घोषणा
केंद्र सरकार संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करने वाली है. इसको लेकर असम समेत पूरे नार्थ-ईस्ट में व्यापक विरोध जताया जा रहा है. छात्र संगठनों और अन्य स्थानीय समूहों ने इस दिन पूरे नार्थ-ईस्ट में बंद की अपील की है.
बंद की घोषणा ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री मोदी सिल्चर में अपनी रैली के दौरान इस विधेयक को लाने की इच्छा जता चुके हैं.
बताया जा रहा है कि यदि यह विधेयक संसद में पास हो जाता है तो पड़ोसी देश, बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी. ऐसे में नार्थ-ईस्ट में बाहरी लोगों की संख्या में भारी इजाफा होगा. जिससे स्थानीय नागरिक अल्पसंख्यक हो जाएंगे. इसके चलते स्थानीय लोगों ने इस विधेयक का विरोध करने का फैसला किया है.
इस प्रस्तावित संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए वहां के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, बुद्ध और जैन समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है.
इस विधेयक के निरीक्षण के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति सात जनवरी को संसद के पटल पर अपनी रिपोर्ट रख सकती है.
बीजेपी के लिए यह विधेयक कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है. 2014 के आम चुनावों में बीजेपी ने नागरिकता कानून में सुधार करने की बात कही थी. इसके उलट विपक्ष लगातार इसका इसका विरोध कर रहा है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम जैसे दल धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने का विरोध कर रहे हैं.
नार्थ-ईस्ट छात्र संगठन(एनईएसओ) के अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने कहा, “भारत सरकार का ये खाका बहुत खतरनाक है, ये क्षेत्र में मूल निवासियों को ही अल्पसंख्यक बना देगा.”