पूरे देश में शुरू होगी एनआरसी की प्रक्रिया: अमित शाह


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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया पूरे देशभर में शुरू की जाएगी और उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा.

वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने लोगों को आश्वस्त किया कि वह राज्य में कभी नागरिक पंजी तैयार करने की इजाजत नहीं देंगी.

शाह ने राज्यसभा में कहा कि भारत के सभी नागरिकों को एनआरसी सूची में शामिल किया जाएगा चाहें वे किसी भी धर्म के हो. उन्होंने कहा कि एनआरसी में धार्मिक आधार पर नागरिकों की पहचान का कोई प्रावधान नहीं है. इसमें सभी धर्मों के लोगों को शामिल किया जाएगा.

उन्होंने एनआरसी में छह गैर मुस्लिम धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता दी जाए. इसके लिए सरकार नागरिकता कानून में संशोधन करेगी.

शाह ने प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ”राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया पूरे देशभर में चलाई जाएगी. किसी भी धर्म के व्यक्ति को चिंता नहीं करनी चाहिए. यह हर किसी को एनआरसी के तहत लाने की प्रक्रिया है.”

गृह मंत्री ने कहा, ”सभी धर्मों के लोगों को जो भारतीय नागरिक हैं, उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा. धर्म के आधार पर किसी तरह के भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है. एनआरसी एक अलग प्रक्रिया है और नागरिकता संशोधन विधेयक अलग.”

शाह ने कहा कि असम में गैरकानूनी शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर एनआरसी कानून बनाकर लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि बाद में एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा, उस समय भी असम को इसमें स्वाभाविक तौर पर शामिल किया जाएगा.

बनर्जी ने कहा कि असम में एनआरसी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान हुए असम समझौते का हिस्सा है और इस प्रक्रिया को देशभर में लागू नहीं किया जा सकता.

बनर्जी ने मुर्शिदाबाद जिले के सागरदिघी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ”कुछ लोग ऐसे हैं जो राज्य में एनआरसी लागू करने के नाम पर अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि हम बंगाल में एनआरसी की कभी अनुमति नहीं देंगे.”

उन्होंने कहा, ”कोई आपकी नागरिकता छीनकर आपको शरणार्थी नहीं बना सकता है. धर्म के आधार पर कोई बंटवारा नहीं होगा.”

पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने से पहले बीजेपी को यह बताना चाहिए कि 14 लाख हिंदू और बंगालियों का नाम असम में एनआरसी की अंतिम सूची में क्यों नहीं है.

असम में एनआरसी की अंतिम सूची में 19.6 लाख लोगों के नाम नहीं आने के बाद बंगाल में प्रस्तावित एनआरसी ने लोगों के बीच घबराहट पैदा कर दी और उसमें 11 लोगों की जान चली गई.

इस बीच, असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने हाल में जारी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को खारिज किए जाने का केन्द्र से अनुरोध किया है.

गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि यहां तक पार्टी ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वर्तमान स्वरूप में एनआरसी को खारिज करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा, ”असम सरकार ने एनआरसी को स्वीकार नहीं किया है. असम सरकार और बीजेपी ने गृह मंत्री से एनआरसी को खारिज करने का अनुरोध किया है.”

सरमा ने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे देश के लिए एक निर्दिष्ट साल तक एक राष्ट्रीय एनआरसी का समर्थन किया है.

उन्होंने कहा, ”यदि निर्दिष्ट वर्ष 1971 है तो यह सभी राज्यों के लिए वही होना चाहिए… हम असम समझौते को रद्द करने के लिए नहीं कह रहे हैं.”

एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की कड़ी निंदा करते हुए मंत्री ने आरोप लगाया कि एनआरसी की पूरी कवायद राज्य सरकार को अलग रखते हुए चलाई गई.

उन्होंने कहा, ”पूरा देश सोचता था कि एनआरसी का अद्यतन असम सरकार द्वारा किया जा रहा है. हम एक व्यक्ति की वजह से खमियाजा भुगत रहे हैं. हम व्यवस्था की खामियों से चिंतित हैं.”

उन्होंने कहा, ”जिस तरह से हजेला ने एक भिन्न व्यवस्था के तहत कवायद चलाई, कई स्तरों पर सवाल तैयार किए गए. जनप्रतिनिधि होने के नाते, हम अब इन सवालों का जवाब देने में असमर्थ हैं.”

असम में एनआरसी से बाहर किये गए 19.6 लाख लोगों की अपील पर अभी तक न्यायाधिकरण में सुनवाई नहीं होने के पूरक प्रश्न के जवाब में शाह ने कहा, ”ऐसे सभी लोगों को ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार है जिनके नाम एनआरसी में छूट गए हैं. ट्रिब्यूनल में अपील दायर करने की सुविधा असम की हर तहसील में मुहैया कराई जाएगी और राज्य सरकार निर्धन तबके के लोगों को विधिक सहायता भी उपलब्ध कराएगी.

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार मानती है कि हिंदू शरणार्थियों, बौद्धों, जैनियों, इसाइयों और सिखों और पारसियों को इस देश की नागरिकता मिलनी चाहिए और इसलिए नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) है.

उन्होंने कहा, ”धार्मिक अत्याचार के चलते बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आ रहे सभी शरणार्थियों को विधेयक के तहत नागरिकता मिलेगी.”

उन्होंने कहा कि लोकसभा ने विधेयक पारित किया था और चयन समिति ने इसे मंजूरी दी थी.

शाह ने कहा, ”अब यह फिर आएगा. इसका एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है.”


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